किस दिन रखा जाएगा विकट संकष्टी चतुर्थी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

सनातन धर्म में त्योहार और व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इसे वैशाख माह की संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन श्री गणेश की पूजा विधिवत रुप से करने का विधान है। रात्रि के दौरान चंद्रमा की पूजा की जाती है और साथ ही अर्घ्य भी देना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखता है। उसके जीवन के सारी परेशानियां और बाधाएं दूर हो जाती है। व्रत रखने से मात्र ही व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती है। इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा, शुभ मुहूर्त क्या है और इसका महत्व के बारें में जानें।

पंचांग के अनुसार 27 अप्रैल को सुबह  08 बजकर 17 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी प्रारंभ होगी। यह तिथि 28 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर तक ही मान्य होगा। इस व्रत में मुख्य रुप से चतुर्थी तिथि में पूजा और अर्घ्य समय का विशेष महत्व है। विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 27 अप्रैल शनिवार के दिन रखा जाएगा। बता दें, 27 अप्रैल को सूर्योदय के बाद चतुर्थी तिथि का आरंभ हो रहा हैं, लेकिन चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय उसी दिन होगा। दरअसल, विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात में 10 बजकर 23 मिनट पर होगा। जिस वजह से उस समय से ही चंद्रमा की पूजा की जाएगी और अर्घ्य दिया जाएगा।

 विकट संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त क्या है?

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रहम मुहूर्त सुबह 04 बजकर 17 मिनट से लेकर सुबह 05 बजे तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है। विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन सबसे उत्तम मुहूर्त सुबह 07 बजकर 22 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक है।

जानें विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन जो व्यक्ति भगवान गणेश की विधिवत पूजा करता है। उसके जीवन की सारी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वहीं, रात्रि में चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति प्राप्ति होती है।

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