उपराष्ट्रपति बोले- UPA अध्यक्ष की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया नहीं देता तो संविधान की शपथ के साथ अन्याय होता

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी की ‘न्यायपालिका को कमतर करने की कोशिश’ संबंधी टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया का बचाव किया। उन्होंने कहा कि अगर प्रतिक्रिया नहीं दी होती तो वह अपनी शपथ के साथ अन्याय करते और सांविधानिक दायित्व का पालन करने में विफल रहते।

सदन में शुक्रवार को कांग्रेस नेता प्रमोदी तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया। वहीं, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यदि एक लोकसभा सांसद (सोनिया गांधी) बाहर कुछ कहती हैं, तो राज्यसभा में उस पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए। यहां जो कुछ भी कहा गया, उसे कार्यवाही से हटा देना चाहिए व वापस लेना चाहिए। सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि भले ही संप्रग अध्यक्ष दूसरे सदन की सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने उच्च सांविधानिक प्राधिकारी पर आरोप लगाए हैं। प्रतिक्रिया दिया जाना उचित था।

धनखड़ बोले कि उन्हें इन आरोपों का सामना करना पड़ा है कि वह न्यायपालिका को कमतर बनाने के लिए एक प्रणाली का हिस्सा हैं। आसन को अलग रुख अपनाने पर घसीटने की अनुमति नहीं दी जा सकती। धनखड़ ने  कहा कि उन्होंने व्यापक होमवर्क के बाद उच्च सदन में सोनिया गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी और यह इससे अधिक चिंतनशील और संयमित नहीं हो सकता था। उन्होंने कहा कि सदन में उनकी प्रतिकिया ‘न्यूनतम प्रतिक्रिया’ थी और वह इसे टाल नहीं सकते थे।

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