प्रयागराज। रेलवे संरक्षा आयुक्त (सीआरएस), उत्तर पूर्वी (एनई) सर्किल लतीफ खान ने उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय में आयोजित एक बैठक में उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि संरक्षा जागरूकता त्वरित प्रक्रिया नहीं है, यह जीवन भर सीखने से संबंधित है। श्री खान ने कहा कि संरक्षा एक ऐसी चीज है जो व्यवस्था में अंतर्निहित है। एक यात्री अपनी ट्रेन यात्रा का वर्णन करते समय कभी भी ट्रेन संचालन में संरक्षा पर चर्चा नहीं करता है। हालाँकि, इसके महत्व का आकलन तभी किया जा सकता है जब उसकी ट्रेन यात्रा के दौरान कुछ असामान्य हो। इस कारण रेल प्रशासन की जिम्मेदारी संरक्षा के प्रति बहुत अधिक है क्योंकि जब संरक्षा की बात आती है तो रेलवे से रेल उपयोगकर्ता की अपेक्षाएं बहुत अधिक होती हैं। एक औसत यात्री के लिए, संरक्षा एक ऐसा मापदंड है जो सिस्टम में अंतर्निहित है और इससे अविभाज्य है।
सीआरएस ने सुबह नवनिर्मित नैनी-छिवकी तीसरी लाइन का निरीक्षण किया और दूसरे हाफ में उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल होने पहुंचे।
प्रारंभ में, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सीएओ) शरद मेहता ने सीआरएस का गर्मजोशी से स्वागत किया। अपने उद्घाटन भाषण में एनसीआर के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार ने कहा कि सीआरएस के साथ बैठक को नियमित बनाने के लिए भविष्य में इस तरह की और बैठकें आयोजित की जाएंगी।
प्रधान मुख्य सुरक्षा अधिकारी (पीसीएसओ) उत्तर मध्य रेलवे एम.के. गुप्ता ने सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए उत्तर मध्य रेलवे द्वारा की जा रही कार्रवाइयों पर चर्चा करने के लिए एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। श्री गुप्ता ने ट्रेन संचालन में संरक्षा को समझने और संरक्षा भंग के मामलों की जांच में इशिकावा कारण-प्रभाव विश्लेषण और फिश बोन डायग्राम जैसे उपकरणों की उपयोगिता के बारे में बताया।
पीसीएसओ ने उत्तर मध्य रेलवे द्वारा लिए गए सेफ्टी ड्राइव का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने ट्रैक, पुलों और सुरंगों, समपारों, डिब्बों और कोचिंग डिपो, क्रू लॉबी और रनिंग रूम, लोको शेड आदि के संबंध में संरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित कार्य योजना भी प्रस्तुत की। उन्होंने रेलवे की अग्निशमन तैयारियों के बारे में भी चर्चा की। अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षणों की संख्या, पाई गई कमियां और सुधारात्मक कार्रवाई के विषय में भी सीआरएस को जानकारी दी गई।
पीसीएसओ ने बताया कि SPAD (लाल सिग्नल पार करना) को खत्म करने के लिए कार्य योजना के तहत लोको पायलटों द्वारा प्रमुख यार्डों के फुट लर्निंग पर काफी जोर दिया जा रहा है।
अधिकारियों के सवालों के जवाब में सीआरएस ने कहा कि फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देना और उन्हें जागरूक करना प्रबंधन का काम है और अगर कर्मचारियों में जागरूकता नहीं है तो यह प्रबंधन की विफलता है।
सीआरएस ने यह भी बताया कि रेल परिचालन के लिए स्वीकृति हेतु प्रदत्त विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग एक अपवाद स्वरुप ही किया जाना चाहिए।
बैठक में एजीएम रंजन यादव, प्रमुख विभाग्याध्यक्ष , प्रयागराज के डीआरएम मोहित चंद्रा सहित उत्तर मध्य रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह उल्लेख करना है कि सीआरएस एक वैधानिक निकाय है जो नागर विमानन के तहत कार्य करता है और संरक्षा संबंधी मुद्दों परा रेलवे को सलाह देने वाला सर्वोच्च निकाय है।