आखिर क्रेडिट कार्ड से बैलेंस ट्रांसफर के नफा-नुकसान क्या हैं? समझिए विस्तार से

क्रेडिट कार्ड आज के समय में काफी काम की चीज है। क्रेडिट कार्ड से पैसे खर्च करना बिल्कुल वैसा ही है जैसे आप किसी बैंक से लोन लेकर उसे खर्च करते हैं। बस अंतर सिर्फ इतना है कि आपको एक क्रेडिट कार्ड से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए एक ग्रेस पीरियड दिया जाता है, जिस दौरान आप यदि लोन चुका देते हैं, तो आपको कोई ब्‍याज नहीं देना होता। लेकिन यदि किसी वजह से ग्रेस पीरियड में रकम नहीं चुका पाए तो आपको अच्‍छा खासा ब्‍याज भी देना पड़ता है। ऐसे में कई बार लोगों के सामने ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि क्रेडिट कार्ड का बैलेंस चुकाने के लिए उनके अकाउंट में जरुरी पैसे ही नहीं होते हैं जिससे वो कर्ज के जंजाल में फंसते चले जाते हैं। ऐसी विकट स्थिति में क्रेडिट कार्ड बैलेंस ट्रांसफर का ऑप्‍शन आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। हालांकि इसके लिए भी आपके पास एक से ज्‍यादा क्रेडिट कार्ड होने चाहिए।

तो आइए यहाँ बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड बैलेंस ट्रांसफर का ऑप्‍शन कब आपके काम आता है? साथ ही इसे करने का तरीका क्‍या है और इसके क्या फायदे और क्या नुकसान हैं? इससे पहले आप यह समझिए कि आखिर में बैलेंस ट्रांसफर क्‍या होता है? तो आप जान लीजिये कि बैलेंस ट्रांसफर में एक क्रेडिट कार्ड के पैसे को दूसरे क्रेडिट कार्ड में ट्रांसफर करके लोन की रकम को चुकाया जाता है। इसके लिए सबसे पहले यह  जरूरी है कि आपके पास दूसरे क्रेडिट कार्ड की लिमिट, जिससे आप रकम ट्रांसफर कर रहे हैं, ज्‍यादा हो, क्‍योंकि आप अपने क्रेडिट कार्ड का 75 फीसदी तक अमाउंट ही ट्रांसफर कर सकते हैं। खास बात यह कि  जिस बैंक के कार्ड से बैलेंस ट्रांसफर का पैसा आप लेते हैं, वो बैंक भी इस महत्वपूर्ण सुविधा के बदले आपसे जीएसटी और प्रोसेसिंग फीस वसूलता है।

सवाल है कि आखिर क्रेडिट कार्ड बैलेंस ट्रांसफर का फायदा क्‍या है? तो यह जान लीजिये कि आप दूसरे क्रेडिट कार्ड की रकम से अपने पहले वाले कार्ड के लोन को खत्‍म कर सकते हैं। यह बात दीगर है कि इससे आप पर दूसरे कार्ड, जिससे रकम को ट्रांसफर किया गया है, उसका लोन बकाया हो जाता है। हालाँकि इससे आगे ये फायदा मिलता है कि आपको एक नया ग्रेस पीरियड मिल जाता है, जिस दौरान यदि आप  अपनी अपेक्षित रकम को चुकाते हैं तो आपको कोई भी ब्‍याज नहीं देना होता। इसके अलावा, आप डिफॉल्टर होने से बच जाते हैं और आपका क्रेडिट स्‍कोर खराब नहीं होता है।

 

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर में बैलेंस ट्रांसफर का तरीका क्‍या है? तो यह जान लीजिये कि आपके द्वारा बैलेंस ट्रांसफर करने के दो तरीके ही अपनाए जा सकते हैं। पहला यह कि आपको बैंक के कस्टमर केयर पर फोन करना होगा और उनसे बैलेंस ट्रांसफर करवाना होगा। और, दूसरा यह कि आप खुद ही बैंक के ऐप या वेबसाइट से बैलेंस ट्रांसफर कर लें। इसके लिए बस आपको दोनों कार्ड की डीटेल्स की जरूरत होगी। साथ ही आप बैलेंस ट्रांसफर को वापस चुकाने का तरीका एकमुश्‍त या ईएमआई विकल्‍प के तौर पर भी चुन सकते हैं।

 

यहाँ पर आपके लिए यह भी जानना जरुरी है कि आखिर में किस स्थिति में बैलेंस ट्रांसफर आपके लिए मुसीबत बन सकता है? तो यह जान लीजिए कि यदि आप बैलेंस ट्रांसफर एक-दो बार लेते हैं तो कोई दिक्‍कत नहीं होती है, लेकिन यदि आप आए दिन इस तरह के आसान विकल्प को चुनते हैं, तो इससे आपका सिबिल स्‍कोर प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त यदि आप बैलेंस ट्रांसफर का विकल्‍प चुनते हैं और प्रदत्त ग्रेस पीरियड में भी यदि आप नहीं चुका पाते हैं तो एक बार फिर से कर्ज के जाल में आपके फंसने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए कि क्रेडिट कार्ड के बिल का ब्याज बहुत भारी भरकम होता है। आम तौर पर यह चक्रवृद्धि ब्याज के हिसाब से वसूला जाता है।

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