अभी जबकि बाकी दुनिया में 5जी नेटवर्क शुरू करने की कोशिश चल रही है, अमेरिका और चीन के बीच 6जी में बढ़त हासिल करने की होड़ शुरू हो गई है। समझा जाता है कि 6जी के इस्तेमाल से युद्ध उपकरणों की क्षमता में नाटकीय बदलाव आ जाएगा।
लंदन स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) ने अगस्त में जारी एक रिपोर्ट में बताया था कि चीन सैनिक उद्देश्यों के लिए 6जी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की तैयारियों में जुटा हुआ है। इसके लिए वह केंद्रीकृत कमांड मॉडल के जरिए निर्णय प्रक्रिया का अनुपालन कर रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका निचले स्तरों पर कमांड और ऑपरेशन प्रक्रिया को सक्षम बनाने की रणनीति पर चल रहा है।
आईआईएसएस ने कहा है कि चीन के हाइपरसोनिक अस्त्र कार्यक्रम में 6जी टेक्नोलॉजी की महत्त्वूपर्ण भूमिका होगी। इस टेक्नोलॉजी से हाइपरसोनिक रफ्तार में अभी पेश आने वाली संचार बाधा की समस्या की समाधान हो जाएगा।
इसके पहले हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि चीन के शोधकर्ताओं ने 6जी लेजर उपकरण बना लिए हैं। ये उपकरण हाइपरसोनिक युद्ध के दौरान सिग्नल रोकने वाले प्लाज्मा लेयर को भेदने में सक्षम हैं। उस रिपोर्ट में बताया गया था कि ये उपकरण चोरी-छिपे मार करने वाले विमानों का पता लगाने और उच्च गति के अंतरिक्ष संचार में भी मददगार होंगे।
उधर अमेरिका अपने सहयोगी देशों को साथ लेकर 6जी डाटा प्रोसेसिंग की क्षमता हासिल करने की कोशिश में है। आईआईएसएस की रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका 6जी को ऐसी टेक्नोलॉजी के रूप में देखता है, जिससे सैनिक बढ़त बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही इसका आम विकास कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान होगा। अमेरिका ने 6जी विकास कार्यक्रम में उद्योग जगत, सरकारी एजेंसियों और अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को शामिल किया है।
जानकारों के मुताबिक इस लिहाज से अमेरिका और दक्षिण कोरिया के संबंधों को बेहद अहम माना जा रहा है। टेक्नोलॉजी क्षेत्र पर नजर रखने वाली एजेंसी आईडी टेक ईएक्स के मुताबिक दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग के पास 5जी के पेटेंट उसके बाद की दस कंपनियों की तुलना में दस गुना ज्यादा हैं। ये कंपनी अब 6जी में भी बड़ा निवेश कर रही है।
आईआईएसएस ने कहा है कि चीन में केंद्रीकृत मॉडल के तहत 6जी के विकास में लगे सभी विभागों और कंपनियों को सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा गया है। इससे सारे प्रयासों को समन्वित किए रखने में मदद मिलती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने इसी तरीके की वजह से चीन दूरसंचार के क्षेत्र में आज बड़ी ताकत बन गया है, जबकि 1980 के दशक में उसकी हैसियत ना के बराबर थी। चीन ने 5जी विकसित करने में बढ़त हासिल की और उससे 6-जी के लिए एक मजबूत आधार उसे मिला है।
आईआईएसएस के मुताबिक सैनिक उद्देश्य के लिए 6जी के इस्तेमाल के मामले में चीन का नजरिया काफी कुछ अमेरिका से मेल खाता है। लेकिन अमेरिका का नजरिया अधिक मानव केंद्रित है। इसमें निचले स्तरों के कमांड ढांचे को इसलिए अहमियत दी गई है ताकि युद्ध के समय स्थानीय स्तर पर निर्णय लेना संभव हो सके।