अमृत सरोवर तालाब चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट

शंकरगढ़ प्रयागराज से प्रमोद बाबू झा , यमुनापार विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत लोहरा भारत नगर में जहां विकास के नाम पर सरकारी धन को किस तरह से लूटा जा रहा है। तस्वीरों में साफ-साफ देखा जा सकता है कि विकास कार्यों में जो अनियमितताएं सामने आई हैं उसमें जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। अमृत सरोवर तालाब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है जो रो-रो कर टूट कर आंसू बहा रहा है कि इतने कम समय में मुझे मिट्टी में मिलाकर जनता के विश्वास को तोड़ा है। जिसमें मानक के अनुरूप कार्य न करा कर घटिया सामग्री लगाने से तालाब की दीवारें व इंटरलॉकिंग कभी भी धराशाई हो सकती है। ग्रामीणों का आरोप है कि इसमें ग्राम प्रधान व सचिव ने जमकर धांधली की है व सरकारी धन का बंदर बांट किया है।जिससे मानक के अनुसार कार्य नहीं कराया गया है जब कि घटिया सामग्री का उपयोग करने से अमृत सरोवर तालाब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।इस से साफ तौर पर कहा जा सकता है कि और भी बहुत से गांव में विकास के कार्य कराए गए हैं जिसमें जमकर भ्रष्टाचार किया गया होगा जो जांच का विषय है। फिलहाल जो भ्रष्टाचार की तस्वीरें हैं खुद इसका सबूत है कि प्रधान व सचिव ने अमृत सरोवर तालाब निर्माण कार्य में सरकारी धन को किस तरह से लूटा है तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। बताया गया कि ग्राम पंचायत पूरी तरह से भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ है। केंद्र एवं प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट अमृत सरोवर के नाम पर जम कर सरकारी धन की लूट खसोट की गई है जिसकी तस्वीरें साफ बयां कर रही है कि निर्माण कार्य होते ही टूटना शुरू हो गया है। यह एक बहुत बड़ा घोटाला है जिसमें ग्रामीणों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। आगे ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम प्रधान व सचिव आपसी जुगलबंदी कर भ्रष्टाचार की पटकथा लिख रहे हैं। ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर तमाम तरह के काम करवाए गए हैं जिसमें जमकर सरकारी धन को आपसी बंदर बांट किया गया है। भ्रष्टाचार की जड़ों ने विकासखंड शंकरगढ़ को बड़ी मजबूती से जकड़ रखा है। जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी विकासखंड में हो रहे भ्रष्टाचार की तरफ नजर फेरने के लिए शायद तैयार नहीं है। जनता के टैक्स के पैसे से मोटी पगार उठाने वाले कर्मचारियों का पेट ही नहीं भर रहा इसीलिए भ्रष्ट कर्मचारी लूट पर आमादा हैं। सरकार भ्रष्टाचार मिटाने के चाहे लाख इंतजाम क्यों न कर ले मगर भ्रष्टाचारी कर्मचारी लूट बाजारी मचाने से बाज नहीं आ रहे हैं। लूट का आलम इस तरह है कि जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारी भी मौन स्वीकृति देकर खबरों को पढ़ने के बाद भी कार्यवाही करते नहीं दिख रहे हैं। लेकिन जनता की नजर में लूट मचाने वाले कर्मचारियों से कहीं अधिक दोषी जिले के जिम्मेदार अधिकारी हो रहे हैं जिनके द्वारा लगातार खबरें चलने के बाद भी भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर ना तो कार्यवाही की जा रही है ना ही भ्रष्टाचार की जांच की जा रही है। विकासखंड में नियुक्त कर्मचारी भले ही मनमानी तरीके से काम करें कार्यालय समय से आएं या ना आएं अपनी ग्राम सभाओं में सचिव निवास करें ना करें मगर जनपद में उनकी खोज खबर लेने वाला कोई भी नहीं है। जनपद के विकासखंड शंकरगढ़ में भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार का जो खेल खेला जा रहा है उसे आम जनता तो त्रस्त है लेकिन अधिकारी मस्त हैं ।जनता करे भी क्या कुछ अधिकारियों को इन भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कुछ करना ही नहीं है आंख बंद करके जिले के उच्च अधिकारी भ्रष्टाचार का खेल होता देख रहे हैं।कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ग्राम प्रधान व सचिव भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे हैं।अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन मामले में क्या कार्यवाही करता है फिलहाल ग्रामीणों ने जांच कर कार्यवाही की मांग की है।

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