अब रोजगार परक शिक्षा पर देना होगा जोर -प्रो. डा आरपी वर्मा

प्रयागराज। उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ शिक्षाविद और राजकीय डिग्री कालेज गोसाईखेडा, उन्नाव के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डा.) आर पी वर्मा ने कहा कि अब रोजगार परक शिक्षा पर जोर देना होगा क्योंकि एक तरफ रोजगार के स्थायी अवसर जहा कम हो रहे है वही बेरोजगारों की संख्या में भी तेजी से बढोत्तरी हो रही है। उन्होंने कहा कि जूनियर हाईस्कूल के कोर्स से रोजगार परक शिक्षा शुरु होने से बडी संख्या में लोगों को शिक्षण और प्रशिक्षण से रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों की हालत दिनों दिन खस्ताहाल होती जा रही है। स्थायी पदो पर अब संविदा के तहत नियुक्ति हो रही है। इससे पढा लिखा तबका परेशान है।
यह बातें उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ शिक्षाविद एवं राजकीय डिग्री कालेज गोसाईं खेडा, उन्नाव के हिन्दी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा आरपी वर्मा ने स्वरोजगार के लिए बेहतर क्षेत्र उपलब्ध कराने विषयक संगोष्ठी में आज केवलपत्ती – रामआसरे महाविद्यालय राजेन्द्र नगर, बंथरा में आयोजित संगोष्ठी में आज कहा। वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. आरपी वर्मा  ने  कहा कि बेहतर शिक्षा से स्वास्थ्य समाज को मजबूत करने पर जोर दें रहा हूं। उन्होंने कहा कि साहित्य से समाज की सेवा करता रहूंगा जिससे कि समाज का अंतिम व्यक्ति शिक्षित हो सके और उसका लाभ समाज के सभी वर्ग को मिल सके।
कार्यक्रम संयोजक शिक्षाविद डा रेखा वर्मा ने संगोष्ठी के स्वरूप पर विस्तार से बात रखी। अन्य वक्ताओं ने कहा कि स्वरोजगार की ओर लोगों को अब मुडना होगा।
उल्लेखनीय है कि चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डा आरपी वर्मा प्रतिष्ठित कवि ,लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार एवं समीक्षक हैं । शोध कार्य के क्षेत्र में डॉ .आरपी वर्मा व्रज एवं अवधि साहित्य में शोध कार्य कर चुके हैं । राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में तथा शोध ग्रंथों में डॉ आरपी वर्मा के 250 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन हो चुका है । इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रोफेसर डॉ आरपी वर्मा ने 300 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन हो चुका है। दो दर्जन पुस्तकों का संपादन किया  है । शिक्षाविद प्रो. (डॉ.) आरपी वर्मा ने लेखन के क्षेत्र में भी कीर्तिमान बनाया है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय विषयों सहित अलग – अलग विषयों और महा पुरुषों पर 80 से अधिक पुस्तकें लिख चुके है ,जो कि उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के पठन-पाठन में सहायक सिद्ध हो रही हैं । उच्च शिक्षा के संवर्धन एवं प्रोत्साहन के लिए समाज के गरीब छात्र – छात्राओं को दिशा निर्देशन देते रहते है। साहित्य के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट अवार्ड एवं सम्मान डॉ  आरपी वर्मा को समय-समय पर मिलता रहा है जिसमें डॉक्टर रसाल सम्मान अवार्ड ,  केसरी  नारायण शुक्ल अवार्ड ,साहित्य सेवा श्री अवार्ड ,शिक्षक श्री अवार्ड,  भारतेंदु हरिश्चंद्र अवार्ड ,राष्ट्रभाषा गौरव अवार्ड ,सरस्वती अवार्ड ,भारत गौरव अवार्ड, ग्लोबल एजुकेशन लीडरशिप अवार्ड, विद्या रत्न अवार्ड, विद्या सागर अवार्ड,राष्ट्रीय विद्या सरस्वती पुरस्कार, इंटरनेशनल स्टेटस अवॉर्ड फॉर इलेक्चुअल प्यूपिल, इंटरनेशनल एजुकेशन एक्सीलेंस अवॉर्ड फॉर टैलेंटेड परसन, बेस्ट एजुकेशनिस्ट अवॉर्ड, भारती शिक्षा रत्न अवॉर्ड, बेस्ट सिटीजन अवार्ड फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट अवार्ड,डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम सद्भावना अवार्ड, पंडित दीनदयाल उपाध्याय अवार्ड, रविंद्रनाथ टैगोर हिंदी लिटरेचर अवॉर्ड, ग्लोबल एचीवमेंट अवार्ड, अंतरराष्ट्रीय अहिंसा समाजिक पुरस्कार ,डॉ. बाबा साहब अंबेडकर राष्ट्रीय अवार्ड, लॉर्ड बुद्धा गोल्ड अवार्ड ,डॉ शंभू नाथ चतुर्वेदी विशिष्ट अवार्ड ,एजुकेशनल एक्सीलेंस अवार्ड , बेस्ट  सिटीजन अवार्ड तथा मुंशी प्रेमचंद अलंकरण आदि सम्मान से  सम्मानित हो चुके हैं । डॉ.वर्मा मूलता अंबेडकर नगर जिले. के रहने वाले हैं डॉ.वर्मा की शिक्षा इविवि ,बनारस हिंदू विवि वाराणसी ,संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विधालय वाराणसी तथा लखनऊ विवि लखनऊ से डी.लीट् हैं। डॉ.वर्मा राजकीय महाविद्यालय गोसाई खेड़ा उन्नाव में हिंदी -विभाग में अध्यक्ष एवं प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

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