आज हम सब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के संबंध में बात कर रहे हैं। यह दिन प्रतिवर्ष 08 मार्च को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम निर्धारित की गई है #EachForEqual अर्थात लैंगिक समानता या जेंडरइक्वलिटी। पर पुरुष की महिला से समानता क्या ये संभव है । क्या महिला जैसी सृजन की शक्ति कोई भी पुरुष कभी प्राप्त कर सकता है?- जीवन का सृजन ।
मैं एक पुरुष की दृष्टि से देखता हूं तो पाता हूं कि, जन्म से लेकर पूरे जीवन महिला के संरक्षण, सहयोग और प्रेरणा से ही पुरुषों का जीवन चलता है।हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी एक अभियान चलाया है कि, #SheInspiresUs
हमारे समाज और संस्थान में ऐसी बहुत सी महिलाएं और बेटियां हैं जो ना सिर्फ पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ रही हैं बल्कि, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कार्यों और कृतित्व से हमारा और राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही है । ये अपने समाज और पुरुष सहयोगियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है ।जब हॉकी प्लेयर गुरजीत और क्रिकेटर पूनम जैसी हमारी बेटियों के कारण अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर तिरंगा ऊपर उठता है सभी भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
आज वैश्विक मापदंडों पर लैंगिक समानता को ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2020 के पैमाने पर आंकलन करें तो कुल 153 देशों में भारत की रैंक 112वीं है जो किसी भी हाल में गौरव का विषय तो नही है । वर्तमान समय में लैंगिक असमानता मात्र महिलाओं का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए लैंगिक समानता आवश्यक है।
यदि हमे नए भारत का निर्माण करना है तो इस दिशा में हमें कार्य करना होगा। इसके लिए रोजगार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना होगा और साथ ही इसकी शुरुआत अपने परिवार से ही करनी होगी। बच्चों में लिंग के आधार पर कोई भी असामनता ना हो।
उत्तर मध्य रेलवे महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति संपूर्ण प्रशासन कृत संकल्प है। ना सिर्फ रेल कर्मचारियों बल्कि, सभी महिला रेल यात्रियों को सुरक्षित और सुगम यातायात उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है।