हाल ही में जोशीमठ भूस्खलन के मामले बढ़ रहे हैं। जिस कारण से लोगों की चिंताएं और बढ़ रही है, साथ ही कई लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने का कार्य प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर में मौजूद कई धार्मिक ग्रंथों में कुछ ऐसी घटनाएं होने की भविष्यवाणी युगों पहले ही किए जा चुके हैं। इन धार्मिक पुस्तकों में बताया गया है भविष्य में इस स्थान पर भूकंप, सूखा, प्रलय इत्यादि आएंगे। साथ ही यह भी बताया है कि जोशीमठ के नरसिंह मंदिर की मूर्ति धीरे-धीरे खंडित हो जाएगी और बद्रीनाथ व केदारनाथ जैसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल लुप्त हो जाएंगे।
बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम हो जाएंगे लुप्त
धार्मिक पुस्तकों में यह बताया गया है कि भविष्य में केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे मुख्य तीर्थ स्थल गुप्त हो जाएंगे और भविष्य बद्रीनाथ नाम के एक नए तीर्थ का जन्म होगा। ऐसा होने में अभी कई वर्षों का समय लगेगा, यह भी बताया जाता है। साथ ही वर्तमान समय में भविष्य बद्री के दर्शन के लिए लोगों की संख्या बढ़ते जा रही है। बता दें कि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए जोशीमठ को ही मुख्य द्वार कहा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि जोशीमठ से बद्रीनाथ धाम केवल 45 किलोमीटर और केदारनाथ धाम महज 50 किलोमीटर दूर है।
महाभारत काल से है इस पवित्र धाम का अस्तित्व
रामायण एवं महाभारत काल से ही केदारनाथ धाम के अस्तित्व को धर्म ग्रंथों में बताया गया है। महाभारत के युद्ध में महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए पांडवों को इसी तीर्थ स्थल पर पूजा-पाठ करने की सलाह दी थी। देवतागण भी इसी तीर्थ स्थल पर भगवान शिव के दर्शन के लिए यात्रा करते हैं। महान धर्मगुरु आदिशंकराचार्य, राजा विक्रमादित्य, राजामिहिर भोज ने भी इस चमत्कारी तीर्थस्थल का जीर्णोद्धार कराया था। बद्रीनाथ के विषय में यह बताया जाता है कि इस पवित्र धाम की स्थापना भगवान विष्णु के द्वारा की गई थी। इसी स्थान पर भगवान विष्णु 6 महीने के लिए आराम करते हैं। यही कारण है कि सृष्टि का बैकुंठ धाम भी कहा जाता है। साथ ही यह मान्यता भी है कि यह स्थान माता पार्वती एवं भगवान शिव का पहला निवास स्थान था।
इस तीर्थ स्थल का महत्व
बद्रीनाथ धाम में जिस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन करते हैं, उस मंदिर को 15वीं शताब्दी में गढ़वाल के शासक द्वारा बनवाया गया था। मान्यता है कि जो भक्त केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही वह जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान प्राप्त करते हैं। इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने भी यहां स्वर्ण कलश और छतरी दान किया था।