नववर्ष का शुभारंभ कन्या लग्न में होगा। सूर्योदय धनु लग्न में रहेगा। विकास के दृष्टिकोण से नववर्ष भारत के लिए अच्छा रहेगा। नववर्ष- 2023 रविवार को अश्विनी नक्षत्र में प्रारंभ होगा। नववर्ष में 162 सर्वार्थ सिद्धि योग, 143 रवि योग और 33 अमृत सिद्धि योग का संयोग बनेगा। नए साल में 14 पुष्य योग (नक्षत्र) भी रहेगा। मार्च और दिसंबर में दो बार पुष्य का संयोग रहेगा। चार गुरु पुष्य, दो बार रवि पुष्य के अलावा अन्य दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नए वर्ष में चातुर्मास की जगह पंचम मास रहेगा। नववर्ष के पहले दिन सूर्योदय काल के समय चंद्रमा मेष राशि, गुरु मीन राशि तथा शनि मकर राशि में चलित रहेंगे। वर्ष 2023 के कई महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं। नववर्ष का शुभारंभ कन्या लग्न में होगा। सूर्योदय धनु लग्न में रहेगा। विकास के दृष्टिकोण से नववर्ष भारत के लिए अच्छा रहेगा। पंचांग के मुताबिक 2023 में 162 सर्वार्थ सिद्धि योग, 143 रवि योग और 33 अमृत सिद्धि योग का संयोग बनेगा। नए साल में 14 पुष्य योग (नक्षत्र) भी रहेगा। मार्च और दिसंबर में दो बार पुष्य का संयोग रहेगा। सबसे ज्यादा सर्वार्थ सिद्धि योग जनवरी (16 बार) में रहेगा। सबसे ज्यादा रवि योग (14-14 बार) मार्च, अप्रैल, जुलाई और दिसंबर में रहेंगे। सबसे ज्यादा अमृत सिद्धि योग अप्रैल (6 बार) में रहेगा।
नववर्ष में ग्रहों का परिवर्तन
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नववर्ष में सूर्य 14 जनवरी को धनु से मकर में प्रवेश करेगा। चंद्र सवा दो दिन में बदलते रहेंगे। मंगल 12 मार्च को वृषभ से मिथुन राशि, बुध सात फरवरी को धनु से मकर, गुरु 22 अप्रैल को मीन से मेष राशि, शुक्र 22 जनवरी को मकर से कुंभ, शनि 17 जनवरी को मकर से कुंभ राशि, राहु 30 अक्टूबर को मेष से मीन राशि, केतु 30 अक्टूबर को तुला से कन्या राशि में प्रवेश करेगा।
पंद्रह जनवरी को मकर संक्रांति
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 14 जनवरी को सूर्य धनु से मकर में रात्रि 3:10 पर प्रवेश करेंगे। 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पूर्व पुण्यकाल सूर्योदय से अस्त तक दिनभर रहेगा। पवित्र नदियों में स्नान दान पुण्य होंगे।
साल 2023 में तीन सोमवती अमावस्या
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि नववर्ष में तीन सोमवती अमावस्या 20 फरवरी, 17 जुलाई, 13 नवंबर को रहेगी। दो श्रावस मास रहेंगे। 4 जुलाई से 2 अगस्त प्रथम श्रावण मास रहेगा। 2 अगस्त से 31 अगस्त तक द्वितीय श्रावण मास रहेगा। जुलाई 10, 17, 24 अगस्त सात, 14, 21, 28 को श्रावण सोमवार सात रहेंगे। इस वर्ष में चर्तुमास की जगह पंचम मास रहेगा।
साल 2023 में 6 ग्रहण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल 2023 में 6 ग्रहण लगेंगे। जिनमें तीन सूर्यग्रहण और 3 चंद्रग्रहण होंगे। जिसमें से 3 सूर्य ग्रहण होंगे और तीन ही चंद्र ग्रहण घटित होंगे। लेकिन भारतवर्षीय भूभाग में तीन सूर्य ग्रहण और एक चंद्रग्रहण नहीं दिखेगा।इन 6 ग्रहणों के एक साथ होने की वजह से प्राकृतिक आपदाओं का समय से ज्यादा प्रकोप देखने को मिलेगा। साल 2023 में 25 मार्च, 8 अप्रैल, 20 अप्रैल, 5 मई, 14 अक्टूबर, 28 अक्टूबर को ग्रहण लगेगा।
साल 2023 में दो महीने का होगा सावन
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार नए वर्ष 2023 में हिंदू कैलेंडर का 13वां महीना मिलेगा, जिसमें अधिकमास शामिल होगा। विक्रम संवत 2080 में पड़ने वाले अधिकमास के कारण सावन दो महीने का होगा। जो 59 दिन तक रहेगा। खास बात यह है कि यह संयोग 19 साल बाद बन रहा है। हर तीन साल पर एक अतिरिक्त मास होता है, जिसे अधिकमास या मलमास कहलाता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। श्रावण मास के दौरान अधिकमास पड़ रहा है, इसलिए उस दौरान पूजा-अर्चना करने से भगवान हरि के साथ ही भोलेनाथ की भी जमकर कृपा बरसेगी।
सावन महीने में कुल 8 सावन सोमवार
सावन का पहला सोमवार- 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार- 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार- 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार- 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार- 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार- 14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार- 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार- 28 अगस्त
साल 2023 में विवाह के 59 शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिन्दी पंचांग के अनुसार साल 2023 में विवाह के कुल 59 शुभ मुहूर्त हैं। इनमें जनवरी में 9, फरवरी में 13, मई में 14, जून में 11, नवंबर में 5 और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त हैं। नए साल यानि वर्ष 2023 का पहला सावा 15 जनवरी को होगा। बसंत पंचमी, रामनवमी, भड़ल्या नवमी, अक्षय तृतीया सहित कई अबूझ सावे भी होंगे। मार्च 2023 में होलाष्टक और अप्रैल में खरमास लगने पर मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 29 जून से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। अधिकमास होने से पांच महीने चातुर्मास रहेगा। इससे देवशयनी एकादशी 29 जून से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी तक सावे नहीं हो सकेंगे। देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद लग्न मुहूर्त शुरू होंगे
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक