मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने 1971 के बांग्लादेश नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन के बाद 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रोबर्टा मेट्सोला को ज्ञापन सौंपा और नरसंहार की निंदा करने की मांग रखी। साथ ही कार्यकर्ताओं ने म्यांमार में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ दबाव बढ़ाने को भी कहा, ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी हो पाए। 1971 में पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में बंगाली राष्ट्रवादी और हिंदुओं का नरसंहार किया था। इस नरसंहार में करीब 30 लाख लोगों की हत्या की गई थी।
चीन में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अमेरिका में प्रदर्शन
चीन में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन पर 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस पर अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने चीन की सरकार की निंदा करते हुए तिब्बती बौद्धों और उइगर मुस्लिमों के नरसंहार पर सांस्कृतिक विध्वंस को रोकने की मांग की। सिएटल, वाशिंगटन, पोर्टलैंड, न्यूयॉर्क, सान फ्रैंसिस्का सहित तमाम शहरों में चीनी दूतावास और चीनी प्रतिष्ठानों के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया।
कजाख मूल के कैदियों पर हो रहे अत्याचारों पर कजाकिस्तान चुप वाशिंगटन
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर नेशनल इंट्रेस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगरों के साथ ही चीन कजाख मूल के मुस्लिमों पर भी अत्याचार कर रहा है। कजाखिस्तान सरकार को मामले की जानकारी है, लेकिन रूस के दबाव में चुप्पी साध रखी है। जबकि, कई कजाख परिवार परिजनों को बंधक बनाए जाने के खिलाफ कजाख संसद के सामने 600 दिन तक प्रदर्शन कर चुके हैं।