हिन्दी कविता : चाय

चाय
चाय गजब की चीज हैं भइया
करती बड़ा कमाल हैं,
जीसने चाय का किया हैं धन्धा
आज वो बड़ा ही माला माल हैं,
चाय जोड़ती चाय तोड़ती चाय
बड़े बड़े काम करवाती हैं,
चाय के दम पर बड़ी बड़ी
डील सस्ते में हो जाती हैं,
सच मे यारो मानो कहना
चाय गजब की चीज हैं,
चाय में चर्चा चौपाल पर
होता सुबहो शाम हैं,
चाय की ज्यादा कीमत नही है
बहुत कम इसका दाम हैं,
बड़ी सरलता से यारो ये हर
जगह मिल जाती हैं,
गाँव शहर ऑफिस गल्ली
व नाका ये हर जगह अपना रंग जमाती हैं,
चाय पीकर और पिलाकर
कर के चाय पे चर्चा ,
बिना ख़र्च क़े चाय पीलाकर
कोई डीएम कोई पीएम
कोई बनगया सीएम ,
सच मे यारो मानो कहना
चाय करती बड़ा  कमाल हैं ,
आज पुरे जग के अंदर
चाय का बड़ा ही नाम हैं,
कही चाय सरनाम हो गई
कही चाय बदनाम हैं,
पर हर हाल में चाय यारो
करती बड़ा धमाल हैं,
कवी कल्पना जब करता
हैं तब चाय का ही लेता सहारा हैं,
पर एक कटु सत्य ये भी हैं
भइया नाजाने कितनेही लोगों
का चाय से ही हो रहा गुजारा हैं,,,,
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )

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