आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आईएमएफ की वित्तीय मदद पहले ही रुकी हुई थी कि अब सऊदी अरब ने इस्लामाबाद को बिना शर्त ऋण देने से इनकार कर दिया है। वहीं, हाल में आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ के छह महीने बाद भी एक करोड़ से अधिक लोगों को, सुरक्षित जल व स्वच्छता उपलब्ध नहीं है।
ऋण को लेकर पाकिस्तान की नई मुसीबत क्या है? सऊदी ने बिना शर्त ऋण देने से इंकार क्यों किया? संकट का असर क्या पड़ रहा है? संकट से उबरने के लिए सरकार क्या कर रही है? संकट से उबरने के लिए पाकिस्तान अपने ‘मित्र देश’ सऊदी अरब से ऋण की आस लगाए बैठा था। लेकिन इसने पाकिस्तान को कोई राहत पैकेज या ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने से इनकार कर दिया है। इस फैसले से सरकार भी झटके में है। वित्त मंत्री को यह कहना पड़ा कि यहां तक कि मित्र देश भी पाकिस्तान को उसके आर्थिक आपातकाल से बाहर निकालने में मदद करने के इच्छुक नहीं हैं।
हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात करने के लिए दौरा किया था। लेकिन वो भी देश के लिए आपातकालीन फंडिंग जारी करने के लिए राजी नहीं कर सके।जनवरी में दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में ही सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जदान ने सरकार की नई नीति को स्पष्ट कर दिया था। पाकिस्तान को लेकर एक बयान में उन्होंने कहा था, ‘हम बिना किसी शर्त के सीधे अनुदान और जमा राशि देते थे लेकिन अब हम इसे बदल रहे हैं।’ आगे उन्होंने कहा था कि ‘हम अपने लोगों पर कर लगा रहे हैं, हम दूसरों से भी ऐसा ही करने की उम्मीद कर रहे हैं। हम मदद करना चाहते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि आप भी अपने हिस्से का प्रयास करें।’ हालांकि, पाकिस्तान सऊदी अरब के लिए नया नहीं है इससे पहले जॉर्डन, मोरक्को और यहां तक कि मिस्र को भी वित्तीय सहायता देने से सऊदी अरब इनकार कर चुका है।इस बीच, पाकिस्तान भारी नकदी संकट से जूझ रहा है। वह वॉशिंगटन स्थित वैश्विक ऋणदाता से 1.1 अरब डॉलर के वित्तपोषण की किस्त का इंतजार कर रहा है। इस किस्त को पिछले नवंबर में दिया जाना था। लेकिन आईएमएफ ने इस किस्त अब तक जारी नहीं किया है। आईएमएफ ने 2019 में पाकिस्तान के लिए 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की मंजूरी दी थी। विश्लेषकों का मानना है कि अगर पाकिस्तान को विदेशी ऋण में डिफाल्ट होने से बचना है तो यह उसके लिए बेहद जरूरी है।
इस बीच, अनुमान जताए गए हैं कि देश में मुद्रास्फीति की दर आने वाले महीनों में 33 फीसदी तक पहुंच जाएगी। देश की मुद्रा में पिछले 12 महीनों में लगभग 65 फीसदी की गिरावट हुई है। छह महीने पहले, विदेशी मुद्रा के फ्लो को रोकने के लिए, पाकिस्तानी सरकार ने लगभग सभी आयात बंद कर दिए, जिससे विनिर्माण क्षेत्रों में कच्चे माल की कमी हो गई और कई ऑटोमोबाइल विनिर्माण संयंत्रों और कपड़ा कारखानों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया।