महाकुंभ में सोरायसिस से मुक्ति मिलेगी- स्वामी महेशानंद गिरि
महाकुम्भ नगर । पूर्व में गंगा-यमुना और अद्देश्य सरस्वती के तट पर प्रभगवान का यह खास था। इसी धरा पर 21 से 27 जनवरी तक अतिरुद्र महा यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस यज्ञ में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के अलावा सिनेस्टार अक्षय कुमार और अभिनेत्री मोनिका राय के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक दिन का यजमान बनने के दिए आमंत्रित किया गया है। यह यज्ञ उत्तराखंड के देहरादून स्थित सहस्त्रधारा की संस्था जन कल्याण सेवा समिति की तरफ से आयोजित होगा। इस यज्ञ में भारत के विभिन्न प्रदेशों के अलावा यूनाइटेड किंगडम (यूके), जर्मनी ओशिनिया, कनाडा और अमेरिका से तकरीबन तीन हजार श्रद्धालु आहुति डालने के लिए पहुंचेंगे। राजनीति जगत से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा राज्यसभा सदस्य पुरुषोत्तम खोडाभाई स्पाला व लोकसभा के पूर्व सदस्य धर्मेंद्र कश्यप भी शामिल हो सकते हैं। 21 से 27 जनवरी तक आयोजित होने वाला इस यज्ञ में सुबह नौ से शाम पाच बजे आहुतियां डाली जाएगी। शैव संप्रदाय में चार तरह के यज्ञ और उनकी आहुतियों का वर्णन किया गया है। रुद्र यज्ञ में 1811 आहुति डाली जाती है। इसी तरह, लघुरुद्र यज्ञ में 19 हजार 921, महारुद्र यज्ञ में दो लाख 19 हजार 131 और अतिरुद्र यज्ञ में 24 लाख 10 हजार 441 आहुतियां डालने का विधान है। हालाकि, मेला क्षेत्र में भूमि कम होने के चलते आहुतियों की संख्या कम की गई है। यहां 111 कुंड बनाए जाएंगे और प्रत्येक कुड़ पर पांच जोड़े बैठकर आहुति डालेंगे। 251 आचार्य यह यज्ञ संपन्न कराएंगे। यज्ञ के समापन के बाद संतों की बड़ी समिष्टि होगी। इसमें सभी अखाडों के संतो का भोज होगा।
जहां होता है यज्ञ वह ‘प्रयाग ‘
यज्ञ ऋग्वेद की ऋचाओं से किया जाता है। जहां-जहा यज्ञ होता है, वह स्थान प्रयाग कहलाता है। सृष्टि की रचना के बाद ब्रहमाजी ने सबसे पहले तीर्थराज प्रयाग में ही यज्ञ किया था। यही वजह है कि इसे प्रयाग कहा जाता है। प्रयाग शब्द की उत्पत्ति के लिए कहा जाता है कि यह प्रकृष्ट याग यानी यहां यज्ञों की बहुतायत है। यहां बहह्माजी ने अश्वमेध सहित कई यज्ञ किए और यज्ञ के लिए भगवान शिव को यहां प्रतिष्ठापित किया। जबकि, अक्षयवट में यहां भगवान विष्णु पहले से मौजूद थे। त्तेता में भगवान राम ने यहां यज्ञ किया। मार्कडेय जी कहते हैं- वनवास काल में यहां राजा युधिष्ठिर ने भी यज्ञ किया था। यत्र यजति भूतात्मा जहां यज्ञों की प्रचुरता हो, वही प्रयाग है।
स्वामी महेशानंद गिरि, महामंडलेश्वर पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने बताया कि त्वचा का कैंसर कहे आने वाले गंभीर बीमारी सोरायसिस से पीडित श्रद्धालुओं की महाकुभ में मुक्ति मिलेगी। इसके लिए जडीबूटिया से तैयार दवा श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा। उत्तराखंड के देहरादून स्थित सहस्त्रधारा की संस्था जनकल्याण सेवा आश्रम समिति की तरफ से मुफ्त दवा वितरित करेंगे। सोरायसिस मुक्त भारत अभियान का संकल्प लेकर प्रयागराज आ चुका हूं। सोरायसिस के तीन कारण हैं। पहला समय से भोजन नहीं करना। इससे शरीर कुपोषण का शिकार होता है और अधिक मात्रा में निकलने वाला पित्त इस रोग को जन्म देता है। दूसरा कारण है गर्भाशय। महिलाओं द्वारा शुरुआत में अधिक पित्त बनने पर उचित इलाज नहीं कराया जाता है। ऐसे में होने वाले बच्चे में सोरायसिस के लक्षण दिखने लगते हैं। यह बताते है ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के उल्टी होने पर उन्हें खटाई आदि खिलाकर अधिक बीमार बना दिया जाता है। तीसरा कारण केमिकलयुक्त खाट्य पदार्थ। इससे शरीर व्याधियों का शिकार हो जाता है। उन्होंने बताया कि एलोपैथी में सोरायसिस का पूर्ण इलाज नहीं है। हमारी और से आयुर्वेद और यूनानी पद्धति को मिलाकर दवा तैयार की गई है।