मस्जिद और मदरसे पहुंचे मोहन भागवत, कांग्रेसी बोली- राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का असर

कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख के साथ बैठक पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा का असर है। कांग्रेस ने भागवत से तिरंगा हाथ में लेकर देश को एकजुट करने में राहुल गांधी के साथ चलने का अनुरोध किया। मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच को आगे बढ़ाते हुए भागवत ने गुरुवार को दिल्ली में एक मस्जिद और एक मदरसे का दौरा किया और अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख के साथ चर्चा की, जिन्होंने उन्हें राष्ट्रपिता कहा।

भागवत ने किया मस्जिद और मदरसे का दौरा 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक भागवत मध्य दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग की एक मस्जिद में गए और इसके बाद उत्तरी दिल्ली के आजादपुर में मदरसा ताजवीदुल कुरान का दौरा किया। उनके साथ गए आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि भागवत का मदरसे का यह पहला दौरा था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुए केवल 15 दिन हुए हैं और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि गोडसे मुर्दाबाद। मीडिया के माध्यम से फैलाए गए नफरत से मंत्री चिंतित हो गए हैं और भागवत इमामों तक पहुंच गए।

कांग्रेस ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा का असर
पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी कहा कि पार्टी के पैदल मार्च के परिणाम कुछ ही दिनों में स्पष्ट दिख रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा को सिर्फ 15 दिन हुए हैं और नतीजे सामने आ रहे हैं। भाजपा के एक प्रवक्ता ने टेलीविजन पर गोडसे मुर्दाबाद कहा है। मोहन भागवत दूसरे धर्म के व्यक्ति के घर जा रहे हैं। यह किसके प्रभाव में हो रहा है? यह भारत जोड़ो यात्रा का असर है। जब तक मार्च समाप्त होगा, तब तक सरकार द्वारा बनाई गई नफरत और विभाजन गायब हो जाएगा।

एक घंटे के लिए भारत जोड़ो यात्रा में भाग लें…
हम भागवत जी से अनुरोध करते हैं कि जब यात्रा के कुछ दिनों का उन पर इतना प्रभाव पड़ा हो, तो वे एक घंटे के लिए भारत जोड़ो यात्रा में भाग लें, राहुल गांधी जी के साथ हाथ में तिरंगा लेकर चलें, भारत माता की का नारा लगाएं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के नेतृत्व में पीएफआई पर कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर वल्लभ ने कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि मोदी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। क्या यह आपकी फूट डालो और राज करो की नीति का हिस्सा है?

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