भारतीय संस्कृति के संरक्षण को वैदिक परम्परा की पुनर्स्थापना आवश्यक-स्वामी अधोक्षजानंद

प्रयागराज। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण हेतु वैदिक परम्पराओं की पुनर्स्थापना को आवश्यक बताया है ।उन्होंने कहा है कि वेद शास्त्र और परम्परायें भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
जगद्गुरु शंकराचार्य गुरुवार को माघमेला क्षेत्र में ओल्ड जी टी रोड स्थित आद्य शंकराचार्य धर्मोतथान संसद के शिविर में आयोजित धर्म संसद को संबोधित कर रहे थे ।स्वामी देवतीर्थ ने कहा कि विदेशी शासन के दौरान साजिश के तहत भारत के वेद शास्त्र और पुराणों को नष्ट कर दिया गया और ग्रन्थालयो को जलाया गया । उन्होंने कहा कि आज भारत जब दुनिया की महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है और देश की सेना को अत्याधुनिक अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित किया जा रहा है, ऐसे समय में देश की युवा पीढ़ी को अपने प्राचीन शास्त्रो से अवगत कराना आवश्यक है ।

शंकराचार्य ने इसके लिए राष्ट्रीय रक्षा बजट के तर्ज पर शास्त्र रक्षा कोष स्थापित करने की सलाह भारत सरकार को दी है ।उनका कहना है कि इस कोष का उपयोग नये ग्रन्थालयों के निर्माण एवं उनके प्रचार प्रसार में किया जाना चाहिये ।साथ ही इस कोष के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में गुरु कुल शिक्षा प्रणाली लागू की जाये। धर्म संसद को संबोधित करते हुए शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज ने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे धर्मांतरण पर चिंता जताते हुए इसे तत्काल रोका जाना आवश्यक बताया । इसके लिए उन्होंने सरकार और धर्मगुरुओ को एक साथ प्रायास करने की सलाह दी ।
श्री उमाशक्ति पीठ बृन्दाबन के पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने गोवंश और गोपालकों की समस्याओ पर प्रकाश डाला ।
गोरक्षपीठ गोरखपुर के मठ पुरोहित वेदाचार्य रामानुज त्रिपाठी ने संस्कृत विद्यालयों की स्थिति पर चिंता उन्हें साधन सम्पन्न बनाने की मांग सरकार से की।

धर्म संसद में सर्व सम्मति से निम्न चार प्रस्ताव पारित किये गये-

1- वेद -वेदांग, पुराण एवं शास्त्रों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय रक्षा बजट के तर्ज पर शास्त्र रक्षा कोष स्थापित किया जाये ।
2- गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु राष्ट्रीय नीति बनायी जाये।
3- अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार गठित होने जा रहे ट्रस्ट में निर्विवादित एवं सर्वमान्य प्रतिनिधियों को स्थान देते हुए मंदिर निर्माण का कार्य रामनवमी से प्रारम्भ किया जाये।
4- धर्मांतरण पर तत्काल रोक लगायी जाये।इसके लिये सरकार और धर्माचार्य मिलकर जनजागरण अभियान चलायें ।

धर्म संसद को महामंडलेश्वर झंडा बाबा निर्मोही अखाड़ा के महंत छैलबिहारी दास और सचिव शिवनारायन समेत अनेक संतों ने संबोधित किया । संसद में हजारों की संख्या में दंडीस्वमी साधु संत श्रद्धालु उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पी एन द्विवेदी ने किया।

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