नेहरू की फूलपुर सीट का राजनीतिक तराजू

प्रयागराज । जिले की ही दूसरी महत्वपूर्ण सीट है फूलपुर। इस सीट से पहले सांसद के तौर पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सांसद बने थे और वो आजीवन इसी सीट से चुनाव लड़े। इस सीट ने कई बार अप्रत्याशित परिणाम भी दिए हैं और कई दिग्गजों को धूल भी चटाई है।भारतीय जनता पार्टी को यहां पहली बार 2014 में जीत हासिल हुई थी। हालांकि उपचुनाव में यह सीट फिर उसके हाथ से चली गई लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दोबारा यहां जीत हासिल की।
बीजेपी ने इस सीट पर भी उम्मीदवार बदल दिया है और फूलपुर से ही विधायक प्रवीण पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के अमरनाथ मौर्य और बीएसपी से जगन्नाथ पाल उम्मीदवार हैं। 1962 में जवाहर लाल नेहरू का विजय रथ को रोकने के लिए प्रख्यात समाजवादी नेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया खुद फूलपुर से लड़ने आए लेकिन उनकी करारी हार हुई। इलाहाबाद के कांग्रेस नेता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र नेता रहे अभय अवस्थी उस चुनाव के बारे में बताते हैं, “लोहिया को यह पता था कि नेहरू के खिलाफ वो चुनाव नहीं जीतेंगे लेकिन लोकतंत्र में वैचारिक विरोध का क्या महत्व है, यह बताने के लिए उन्होंने नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़ा। नतीजा वही हुआ। लोहिया चुनाव हार गए लेकिन नेहरू ने ही उन्हें राज्यसभा पहुंचाने में मदद की। नेहरू का मानना था कि लोहिया जैसे आलोचक का संसद में होना बेहद जरूरी है, तभी लोकतंत्र मजबूत बनेगा।आज की राजनीति में विरोध और समर्थन की यह राजनीति दुर्लभ हो गई है।
नेहरू के बाद इस सीट का संसद में प्रतिनिधित्व विजय लक्ष्मी पंडित, कमला बहुगुणा, जनेश्वर मिश्र, विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे नेताओं ने किया और ज्यादातर यहां से कांग्रेस के ही नेता जीतते रहे. इस सीट से हारने वाले दिग्गजों की भी कमी नहीं है।राम मनोहल लोहिया के अलावा जनेश्वर मिश्र, बीएसपी के संस्थापक कांशीराम, अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल जैसे दिग्गज यहां से चुनाव हार भी चुके हैं। सन 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामपूजन पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर इस सीट पर आखिरी जीत हासिल की थी। हालांकि रामपूजन पटेल कांग्रेस से चुनाव जीतने के बाद जनता दल में शामिल हो गए और 1989 और 1991 का चुनाव उन्होंने जनता दल के टिकट पर ही जीता। लेकिन 1989 के बाद से कांग्रेस पार्टी आज तक इस सीट को जीत नहीं पाई। पंडित नेहरू के बाद इस सीट पर लगातार तीन बार यानी हैट्रिक लगाने का रिकॉर्ड रामपूजन पटेल ने ही बनाया था। यहां मतदान छठे चरण में 25 मई को होना है।

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