एनआरसी और सीएए से जुड़े सभी भ्रमों को दूर करने के लिए विपक्षी सांसदों को चर्चा की खातिर आमंत्रित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने गुरूवार को आश्वासन दिया कि दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा जाएगा, भले ही वह किसी पक्ष, धर्म या पार्टी का क्यों न हो। पिछले दिनों दिल्ली की कानून व्यवस्था की स्थिति पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह भी आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में किसी से कोई भी अतिरिक्त दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। शाह ने संसद में सरकार द्वारा दिल्ली हिंसा को लेकर चर्चा से भागने के विपक्ष के आरोप से इंकार करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस अपना काम ठीक से कर सके, दंगा पीड़ितों का अबाध रूप से पुनर्वास हो सके, घायलों का उपचार किया जा सके और दंगाइयों को पकड़ा जा सके, इसलिए सरकार ने होली के बाद चर्चा करवाने का प्रस्ताव दिया था।उन्होंने कहा कि दंगों के बाद 700 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। उन्होंने कहा कि जिसने भी प्राथमिकी के लिए कहा, उसकी शिकायत दर्ज की गयी। पुलिस ने किसी को भी प्राथमिकी दर्ज करने से मना नहीं किया। उन्होंने कहा कि दंगा प्रभावित इलाकों से संबद्ध 12 थानों के लिए विशेष अभियोजक नियुक्त किये गये हैं और उनकी सलाह पर काम किया जा रहा है।शाह ने कहा कि अभी तक 2647 लोगों को गिरफ्तार किया गया है या हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विज्ञापन देकर जनता से इन घटनाओं से जुड़े वीडियो और फुटेज मांगे थे। उन्होंने कहा कि जनता ने बहुत सारे वीडियो एवं फुटेज दिए हैं। दिल्ली दंगों में आरोपियों की पहचान के लिए आधार कार्ड के प्रयोग के विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि कि वीडियो में लोगों की पहचान के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस को यह अधिकार मिलना चाहिए कि जिसने दंगा किया, उसके बारे में वैज्ञानिक साक्ष्य अदालत में पेश किया जा सकें।उन्होंने कहा कि अब तक मिले साक्ष्यों के आधार पर गुरुवार दोपहर 12 बजे तक 1922 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कर ली गयी है।चर्चा के दौरान विपक्ष के कई सदस्यों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस मुरलीधर के तबादले का जिक्र करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाया था। इसका उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यह तबादला कालेजियम की सिफारिश और संबंधित न्यायाधीश की सहमति मिलने के बाद किया गया था। उन्होंने इसे नियमित तबादला बताते हुये कहा कि इस बारे में सरकार के इस कदम पर संदेह व्यक्त करने वाले व्यक्तियों को यह भी सोचना चाहिए कि क्या एक ही न्यायाधीश न्याय कर सकता है? क्या बाकी न्यायाधीश न्याय नहीं करते? उन्होंने कहा कि इस प्रकार न्यायपालिका पर सवाल उठाना उचित नहीं है।उन्होंने कहा कि दंगों से जुड़े तकरीबन 50 गंभीर मामलों की जांच तीन एसआईटी करेंगी। यह जांच डीआईजी एवं आईजी स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में की जाएगी। शाह ने कहा कि दंगों में इस्तेमाल किये गये 125 हथियार जब्त किये गये हैं। थाना स्तर पर दोनों संप्रदायों के लोगों की अमन समितियों की 321 बैठक कर दंगें रोकने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि 40 से अधिक टीमों का गठन कर संलिप्त लोगों की पहचान कर उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी दी गयी है।
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