चीन में अभिव्यक्ति की आजादी की किस कदर धज्जियां उड़ाई जाती हैं उसकी झलक दे रही है यह रिपोर्ट। ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक ‘स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ (ASPI) ने दावा किया है कि चीन महिला पत्रकारों और शोधकर्ताओं ऑनलाइन धमकियां देता है। ये धमकियां चीन के बारे में उनकी आलोचनात्मक खबरों को बदनाम करने औश्र उन्हें चुप कराने के लिए दी जाती हैं।
चीन में प्रेस पर सरकारी नियंत्रण है। मीडिया को उस तरह की आजादी नहीं है, जैसी कि दुनियाभर के अन्य लोकतांत्रिक देशों में। इसलिए वहां की खबरें सरकारी संचार माध्यमों के हवाले से ही आती हैं। ऐसे में दूसरे देशों के पत्रकार ऑनलाइन और अन्य मीडिया नेटवर्क के जरिए चीन की हकीकत दुनिया के सामने लाते रहते हैं।
ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक ने अपने शोध में कहा है कि एशियाई मूल की महिला पत्रकारों को चीन द्वारा प्रताड़ित किए जाने का सिलसिला पिछले एक साल में बढ़ा है। उन्हें धमकाने का काम चीन की सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रचार अभियानों का नतीजा माना जा रहा है। चीन अपने इस अभियान के कारण पत्रकारों को ट्रोल कर रहा है।
वाशिंगटन स्थित अंतर्राष्ट्रीय महिला मीडिया फाउंडेशन (IWMF) के उप निदेशक नादिन हॉफमैन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसे में हमें न्यूजरूम में मजबूत डिजिटल सुरक्षा संसाधन और ऑनलाइन दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त नीतियों को लागू करना होगा। तभी इन चीनी हमलों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
धमकियों के कारण कुछ ने छोड़ा पेशा तो कुछ ने नौकरी
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स की 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सर्वे में लगभग तीन-चौथाई महिला पत्रकारों ने कहा कि चीन से ऑनलाइन खतरों का अनुभव किया था। इनमें से 30 फीसदी ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर खुद को सेंसर कर लिया, जबकि 20 फीसदी ने चीन को लेकर पोस्ट करना बंद कर दिया। कुछ ने कहा कि उत्पीड़न के कारण उन्हें अपनी नौकरी या यहां तक कि अपना पेशा पूरी तरह से छोड़ना पड़ा।
देशद्रोह के आरोप, हिंसा व दुष्कर्म की धमकी भी
चीन अपने बारे में आलोचनात्मक पोस्ट करने वाले पत्रकारों के अपमान से लेकर उन पर देशद्रोह के केस लगाने और यहां तक की हिंसा और बलात्कार की धमकियां भी देता है। वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय महिला मीडिया फाउंडेशन (IWMF) के उप निदेशक नादिन हॉफमैन का कहना है कि पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने से साबित होता है कि निरंकुश सरकारों द्वारा सीमाओं से परे जाकर पत्रकारों को डराने और चुप कराने के लिए कैसे ऑनलाइन हमलों का इस्तेमाल किया जाता है।
थिंक टैंक एएसपीआई की जून और नवंबर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन धमकियों में एक नेटवर्क का हाथ होने की आशंका है। इस नेटवर्क को ‘स्पैमोफ्लेज’ कहते हैं। स्पैमोफ्लैज, बीजिंग से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट का एक व्यापक नेटवर्क है। इसे पहली बार 2019 में पहचाना गया था। इसके जरिए हांगकांग समर्थक प्रदर्शनों, ताइवान के समर्थकों और कोविड-19 के अलावा झिंजियांग में मानवाधिकारों के हनन पर आने वाली मीडिया रिपोर्टों को लेकर पत्रकारों को धमकियां दी जाती हैं।
हालांकि, चीन सरकार की ओर से प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कहा है कि उनका देश महिला पत्रकारों के उत्पीड़न की निंदा करता है। वह इन हमलों को बिना सबूत के चीन सरकार से जोड़ने का विरोध करता है।