क्‍या करतारपुर गलियारे से भारत-पाक के तल्‍ख रिश्‍तों में भी आएगी नरमी ?

पाकिस्‍तान का करतारपुर गलियारा एक बार फ‍िर सुर्खियों में है। खासकर भारत-पाकिस्‍तान के तनावपूर्ण संबंधों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या धार्मिक लिहाज से खोले जा रहे करतारपुर गलियारों से भारत और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है। इसके खोले जाने से भारत और पाक के रिश्‍तों पर क्‍या असर होगा ? आखिर पाकिस्‍तान में इसकी दिलचस्‍पी क्‍यों है ? क्‍या है इसके बड़े निहितार्थ ?प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत-पाक संबंधों की गुत्‍थी जटिल है। दोनों देशों की कूटनीतिक रिश्‍तों की डोर बहुत कमजोर है। ऐसे में करतारपुर गलियारे के खुल जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्‍मक असर पड़ेगा। इससे दोनों देशों के नागरिकों के मध्‍य संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। इससे दोनों देशों के लोगों में प्रेम और सहानुभूति का एक नया मार्ग प्रशस्‍त होगा। इससे भविष्‍य में दोनों देशों को अपने कूटनीतिक रिश्‍तों को सुधारने में मदद मिल सकती है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान का ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब से जुड़ेगा, जो दोनों देशों के मध्‍य सांस्‍कृतिक रिश्‍ते मजबूत करने का एक नया अवसर होगा। उन्‍होंने कहा कि यह गलियारा भारत और पाकिस्‍तान के बीच एक ऐतिहासिक कड़ी साबित हो सकता है। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसकी वजह यह है कि दोनों देशों के ज्‍यादा से ज्‍यादा तीर्थयात्री पूरे वर्ष पवित्र तीर्थ यात्रा करेंगे। करतारपुर कारिडोर भारत के सीमावर्ती जिले गुरदासपुर को पाकिस्‍तान के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब से जोड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि भारत-पाकिस्‍तान के बीच तमाम मतभेदों के बावजूद करतारपुर को लेकर हो रही वार्ता पर इसका प्रभाव नहीं दिखा। यह इस बात की ओर संकेत करता है कि यह कारिडोर भारत-पाक के लिए कितना अहम है।

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