क्रिकेट के लिए सुखद है न्यूजीलैंड का चरम,

डार्क हार्स मानी जाने वाली न्यूजीलैंड की टीम केन विलियमसन की अगुआई में लगातार तीसरे आइसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची है और अब रविवार को यह टीम टी-20 विश्व कप के खिताबी मुकाबले में आस्ट्रेलिया से भिड़ेगी। क्रिकेट में भारत, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को बिग थ्री माना जाता है। यह इन तीनों देशों के लिए तो बहुत अच्छा है, लेकिन क्रिकेट के फुटबाल की तरह वैश्विक खेल बनने में सबसे बड़ी बाधा भी यही है। न्यूजीलैंड अगर पहली बार सिमित प्रारूप में कोई विश्व कप ट्राफी जीतती है तो रग्बी के लिए प्रसिद्ध इस छोटे से देश में क्रिकेट खूब फलेगा-फूलेगा। इसके साथ ही यहां से ज्यादा क्रिकेटर आएंगे। उन्हें आइपीएल, बिग-बैश लीग और द हंड्रेड जैसे टूर्नामेंट में स्थान मिलेगा। अभी भी अच्छे खिलाड़ी होने के बावजूद आइपीएल में न्यूजीलैंड की अपेक्षा आस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की मांग ज्यादा रहती है।

न्यूजीलैंड ने लगातार तीन अलग-अलग फार्मेट के आइसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई है जो उनकी काबीलियत को दर्शाने के लिए काफी है। कोई भी टीम अब तक ऐसा नहीं कर पाई है। हालांकि, अगर आर्थिक आधार पर देखें तो न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड काफी नीचे है। इस वजह से वहां क्रिकेट को जितना बढ़ावा मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल रहा। भारत ने पिछले साल न्यूजीलैंड का दौरा किया था और वहां पर पांच टी-20, तीन वनडे और दो टेस्ट मैच खेले थे। उस दौरे तक स्टार का न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड के साथ भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसारण का करार था।इसके बाद भारत को दो साल न्यूजीलैंड का तीन वनडे का दौरा था, जो कोरोना के कारण रद हो गया। इसी कारण स्टार ने न्यूजीलैंड क्रिकेट के साथ अपने प्रसारण करार को आगे नहीं बढ़ाया। एक समय ऐसा आ गया कि भारतीय उपमहाद्वीप में न्यूजीलैंड क्रिकेट का प्रसारण ही नहीं हो रहा था। अब सिर्फ अमेजन प्राइम ने न्यूजीलैंड में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैचों के प्रसारण का अधिकार लिया है। भारतीय प्रशंसक सिर्फ उसी माध्यम से वहां होने वाले मैच देख सकते हैं। क्रिकेट का हब भारतीय उपमहाद्वीप है और अगर यह टीम आगे बढ़ती है तो यहां पर भीे उसके प्रशंसक बढ़ेंगे, जिससे कीवियों को भी प्रयोजक और प्रसारणकर्ता मिलेंगे। इससे वहां पर पैसा आएगा और साथ में एक ऐसी टीम बन जाएगी जिससे सब खेलना चाहेंगे। इससे क्रिकेट में प्रतिद्वंद्विता होगी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को फायदा मिलेगा।आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड पड़ोसी देश हैं और इनकी प्रतिद्वंद्विता भी भारत-पाकिस्तान की ही तरह है। क्रिकेट में ही नहीं, हर खेल में इन देशों की टीमें एक-दूसरे को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। जिस प्रस्ताव के तहत आस्ट्रेलिया का निर्माण हुआ था, उसी में न्यूजीलैंड को आस्ट्रेलिया का सातवां प्रदेश दर्शाया गया था, लेकिन कीवियों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया था। उसी के बाद इन दोनों में प्रतिद्वंद्विता बढ़ गई। अगर क्रिकेट की बात करें तो आस्ट्रेलिया ने पांच वनडे विश्व कप और दो चैंपियंस ट्राफी जीती हैं। वहीं न्यूजीलैंड ने अब तक सिर्फ एक चैंपियंस ट्राफी और पहला विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल जीता है।जब न्यूजीलैंड डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंचा था तो आस्ट्रेलियाई मीडिया ने उसका काफी मजाक उड़ाया था, क्योंकि उससे पहले आस्ट्रेलिया ने उसे अपने घर में कीवियों को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से हराया था। हालांकि टीम ने फाइनल में भारत को आसानी से हरा दिया था। इस प्रतिद्वंद्विता का एक उदाहरण और है जिसको बताना जरूरी है। 1992 वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को ले जाने वाले कप्तान मार्टिन क्रो कैंसर से पीड़त होने के बावजूद 2015 वनडे विश्व कप में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच फाइनल देखने गए थे। उनकी दिली इच्छा थी कि न्यूजीलैंड अपने चिर प्रतिद्वंद्वी को हराकर विश्व चैंपियन बने, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आस्ट्रेलिया ने मेलबर्न क्रिकेट मैदान में खिताब जीता। इसके कुछ समय बाद ही क्रो का देहांत हो गया।

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