कैसे कोई कंपनी छूने लगती हैं बुलंदियों को

आर.के.सिन्हा

 

निश्चित रूप से हम सबने देश की कॉरपोरेट संसार की प्रमुख कंपनियों जैसे रिलायंसटाटाबिड़लाविप्रोएचसीएल वगैरह के नाम सुने हैं। पर जरा बताइये कि हमसे कितने लोगों ने क्वैस कोर्प का नाम सुना है?  माफ कीजिए कि क्वैस कोर्प के नाम और काम से बहुत कम लोग परिचित  हैं। पर यह असाधारण कंपनी के रूप में उभरी है। इसने तमाम बड़ी स्थापित कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। यहां पर बात मुनाफे की नहीं हो रही है। बात हो रही है  कि देश में किस कंपनी के पास सर्वाधिक मुलाजिम है। क्वैस मुलाजिमों की संख्या के स्तर पर निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में उभरी है। अब तो आप मानेंगे कि यह कोई सामान्य कंपनी नहीं है। फिलहाल इसके देश भर में 3 लाख 85 हज़ार कर्मी हैं। यह कोई  छोटा आंकड़ा तो नहीं है। दरअसल क्वैस निजी क्षेत्र की एमेजन से लेकर स्वैगी जैसी तमाम कंपनियों को उनके उपयुक्त कर्मचारी उपलब्ध कराती है। ये कर्मी विभिन्न क्षेत्रों में संलग्न कंपनियों के लिए काम करते हैंपर ये रहते हैं क्वैस के ही मुलाजिम  क्वैस से ही इन सबको पगार और दूसरे भत्ते मिलते हैं। एक महत्वपूर्ण बिन्दु पर और गौर करते चलें कि भारत की निजी क्षेत्र की कर्मियों के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी तो टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएसहै। उसके पास फिलवक्त करीब साढ़े चार लाख से अधिक कर्मी हैं। पर उसके लगभग एक लाख कर्मी दुनिया के विभिन्न देशों में हैं और यह बिलकुल भी जरूरी नहीं है कि वे सभी या अधिकांश भारतीय ही हों। मतलब कि वे अन्य देशों के भी हो सकते हैं  हालांकि इसमें कुछ भी बुरी बात नहीं है। पर क्वैस के सभी कर्मी तो भारतीय ही हैं। हालांकि कर्मियों के लिहाज से रिलायंस इंड्रस्ट्रीज लिमिटेड(आरआईएल,इंफोसिसएचसीएलमहिन्द्रा वगैरह  में भी काफी  संख्या में कर्मी हैं।

अब असली  मुद्दे पर आएँगे कि आज का वक्त नौकरी करने से अधिक मौजू वक्त अपना कुछ काम धंधा चालू करने का है। अगर आपके पास कोई फड़कता हुआ सा आइडिया हैतो उसे अमली जामा पहना ही दीजिए। देऱ कत्तई मत करें।  यकीन मानिए कि आप भी देखतेदेखते दर्जनों और फिर सैकड़ों कर्मियों को रोजगार दे रहे होंगे। यह बिलकुल मुमकिन है। कोशिश तो करें। क्वैस के प्रोमोटरों के तो कोई नाम तक नहीं जानता। पर उन्होंने कुशल नौजवानों को अन्य कंपनियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार तैयार करना शुरू कर दिया है। याद रखिए कि किसी को रोजगार उपलब्ध करवाने से बेहतर और नेक काम शायद ही कोई और हो। यह बात वही समझ सकता है,जो कभी बेरोजगार हुआ हो। उस बेरोजगारी के दौर के बाद जब उसे रोजगार मिलता है,तो उसके दिल से रोजगार देने वाले के लिए ह्रदय से दुआएं निकलती हैं।

सुनने में  रहा है कि बैंगलुरूदिल्ली  मुंबई  समेत देश के विभिन्न शहरों में क्वैस  की तरह की ही बहुत सी अन्य कंपनियां भी सक्रिय हैं,जो विशेष रूप से आईटी तथा सर्विस सेक्टर की कंपनियों को कर्मी उपलब्ध करवाती हैं। इनसे भी लाखों कर्मी जुड़े हुए हैं। बेशक देश को इस समय इसी तरह के उद्यमी चाहिए जो अपेक्षाकृत कम पढ़ेलिखे या जिनके पास कोई बहुत चमकदार डिग्रियां नहीं हैउन्हें भी सम्मानजनक रोजगार दें। जिसके पास इंजीनियरिंग,आर्किटेक्चरमेडिसनएविएशन आदि सेक्टरों से जुड़ी  डिग्रियां हैंउन्हें तो देरसबेर कहीं  कहीं नौकरी मिल ही जाएगी।

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