केंद्र और राज्य सरकार को चकमा-हाजोंग शरणार्थियों पर रूख स्पष्ट करना चाहिए: आपसू

ऑल अरूणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आपसू) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को चकमा-हाजोंग शरणार्थियों पर अपना रुख साफ करना चाहिए जिन्हें संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद नागरिकता मिलने की संभावना है। राज्य का यह शीर्ष छात्र संगठन पिछले कई दशक से शरणार्थी मुद्दे पर मुहिम चला रहा है। आपसू के अध्यक्ष हावा बगांग ने यहां संवाददाता सम्मेलन के दौरान सवाल किया, ‘‘हम नयी दिल्ली से स्पष्ट जवाब चाहते हैं कि क्या चकमा हाजोंग शरणार्थी के रूप में रहेंगे या फिर नागरिक के रूप में? यदि उन्हें नागरिकता का दर्जा दिया जाता है तो वे कहां बसेंगे।’’ उन्होंने कहा कि राज्य के लोग शरणार्थी मुद्दे की मार पहले ही झेल चुके हैं और उन्होंने बार बार इसका जबर्दस्त विरोध किया है।बगांग ने कहा, ‘‘ यदि केंद्र शरणार्थियों को नागरिकता का दर्जा देना चाहता है और उन्हें अरूणाचल प्रदेश में बसाना चाहता है तो हम राज्य में भीषण आंदोलन छेड़ेंगे। हम उसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ओर्गनाइजेशन के घटक के रूप में आपसू विवादास्पद नागरिकता विधेयक (अब संशोधित नागरिकता विधेयक) का पहले दिन से विरोध कर रही है और वह उसके निर्देशानुसार काम करेगी।  उन्होंने कहा कि आपसू नस्ल, संस्कृति और भाषाओं की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रही है। बगांग ने कहा कि केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 30 नवंबर को नयी दिल्ली में राज्य के विभिन्न पक्षकारों को बंगाल ईस्टर्न रेगुलेशन, 1873 और चिन हिल्स रेगुलेशन, 1986 के सभी लागू योग्य प्रावधानों को शामिल करने का आश्वासन दिया था, आपसू चाहती है कि आश्वासन का कड़ाई से लागू किया जाए ताकि इस राज्यका क्षेत्र के अन्य राज्यों के साथ पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित हो।

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