ओपेक (OPEC Plus) सदस्य देशों के प्रतिनिधि बुधवार को वियना में कोरोना के बाद ढाई साल के बाद एकत्रित हुए। इस दौरान सदस्य देश तेल उत्पादन की मात्रा में बीस लाख बैरल प्रति दिन की कटौती करने पर सहमत हुए। इस कदम से मंदी की आशंकाओं से जुझ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक झटका लगेगा। वहीं व्हाइट हाउस ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों द्वारा तेल उत्पादन कोटा में कटौती पर निराशा व्यक्त की है।
रूस के साथ गठबंधन कर रहे ओपेक प्लस
ओपेक और सहयोगियों के कटौती के कदम की आलोचना करते हुए, व्हाइट हाउस ने कहा कि यह एक अदूरदर्शी निर्णय है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता काराइन जीन-पियरे ने एयर फोर्स वन पर मीडिया से बात करते कहा और यह स्पष्ट है कि ओपेक और सहयोगी देश रूस के साथ गठबंधन कर रहे हैं। बता दें कि उत्पादन में कटौती का यह फैसला नवंबर से लागू होगा।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निर्देशक ब्रायन डीज ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ओपेक प्लस देशों द्वारा उत्पादन कोटा में कटौती के अदूरदर्शी फैसले से निराश हैं, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण के निरंतर नकारात्मक प्रभाव से निपट रही है।
मध्यम आय वाले देशों पर सबसे पड़ेगा प्रभाव
ओपेक प्लस के तेल उत्पादन में कटौती को लेकर व्हाइट हाउस ने कहा कि ओपेक के इस कदम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जो पहले से ही उच्च ऊर्जा की कीमतों से जूझ रहे हैं। साथ ही कहा कि बाइडन प्रशासन कीमतों को लेकर अधिकारियों के साथ परामर्श करेगा।
इससे पहले ओपेक देशों ने पिछले महीने उत्पादन में सांकेतिक कटौती की थी। कोरोना वायरस के दौरान इन देशों ने उत्पादन में बड़ी कटौती की थी। लेकिन पिछले कुछ महीने से ये देश उत्पादन में कटौती करना चाह रहे थे लेकिन बच रहे थे।