देश की राजधानी सहित अन्य शहरों में सड़कों और भवनों का नामकरण मुगल-अंग्रेज शासकों की जगह अयोध्या में राममंदिर के लिए बलिदान होने वाले कारसेवकों और ऋषि-मुनियों के नाम कराना अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का नया एजेंडा होगा। सिखों के धर्मगुरु, बौद्धों के आराध्य सहित क्रांतिकारियों के नाम से भी नामकरण की मांग की जाएगी। परिषद ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। संगमनगरी में दिसंबर में प्रस्तावित परिषद की बैठक में इसे पारित कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रदेशों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों को भिजवाया जाएगा। फिर वैचारिक गोष्ठी एवं सम्मेलनों के जरिये जनजागरण किया जाएगा।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का मानना है कि मुगल और अंग्रेज भारत को लूटने के लिए आए थे। छल-कपट से सत्ता हासिल कर भारतीय संस्कृति और सभ्यता नष्ट की। भय और लोभ का सहारा लेकर मतांतरण कराया। प्रभाव बढ़ाने के लिए अत्याचार किया। संतों की सबसे बड़ी संस्था के पदाधिकारी कहते हैैं कि स्वतंत्रता के बाद भी मुगलों एवं अंग्रेजों के नाम पर सड़क, भवन होना चिंताजनक है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी (श्री निरंजनी अखाड़ा) की राय में औरंगजेब, हुमायूं, अकबर, बाबर, शाहजहां, जहांगीर, शेरशाह सूरी सहित अनेक मुस्लिम और अंग्रेज शासक आततायी थे। इनके नाम पर सड़क-भवन उनका महिमामंडन करना है। इसे खत्म कराने को हम प्रतिबद्ध हैैं।श्रीमहंत रवींद्र पुरी कहते हैैं कि 30 अक्टूबर व दो नवंबर, 1990 को अयोध्या में गोली चलाए जाने से सैकड़ों संतों और कारसेवकों की मृत्यु हुई थी। कई दिनों बाद भी अयोध्या के अलग-अलग क्षेत्रों, सरयू नदी में पार्थिव शरीर मिल रहे थे। उन्होंने बताया कि समस्त अखाड़ों, ङ्क्षहदूवादी संगठनों, मठ-मंदिर परंपरा से जुड़े संतों और विद्वानों से संपर्क कर बलिदानियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। वर्ष 2022 के श्रावण (सावन) तक ब्योरा एकत्र कर सरकार को भेजा जाएगा।