हिन्दी कविता : अब वो बात नही है,,,,

माना कि अब अपने यारो  पहले से हालात नही हैं,
कहने वाले  सभी यही कहते
है की  अब वो बात नही हैं,
हा पहले से हालात नही हैं,,,,2
कभी आईने के आगे हम
खूब जीभर कर  इतराते थे,
दिन में एक दो बार  नही ब्लिक
कई बार चले जाते थे ,
हर बार आईने में खुद को देख
कर कभी हँसते कभी इठलाते
कभी खुद से खूब बतियाते थे,
पर अब कहने वाले कहते हैं कि  अब वो बात नही हैं, पहले से हालात नही है,,,,,2
उम्र का बड़ा हंसी वो दौर था
जब हर बार कदम खुद ब खुद
आईने की ओर खिंचे चले जाते थे, दिन में कई बार खुद को हम सजाते थे केशुओ पर कई बार कंघी फिराते थे ,
पर हकने वाले कहते है, की  अब वो बात नही हैं,पहले से
हालात नही है,,,,,2
छोटी छोटी बातों पर हम जोश
में आजाते थे ,पलक झपकते ही
हम हर फैशला झट से  सुनाते थे,
क्या होगा परिणाम इस बात का
ये दिमांग नही लगाते थे, कभी फायदा तो कभी नुक़्सान यारो
हम उठाते थे, पर कहने वाले कहते है कि अब वो बात नही हैं
पहले से हालात नही है,,,,,2
वक़्त के संघ में वक़्त जो बिता
वक़्त ने बहुत कुछ सिखाया हैं
जीवन के इस सफर में हमें वक़्त ने कई रंग
कई ढंग के लोगो से मिलाया हैं,
भला बुरा अपना पराया सभी का चेहरा दिखाया हैं , पर सच
कहता हूं कहने वाले कहते है की अब वो बात नही हैं, पहले से
हालात नही है,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )

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