प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजनौर में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा को लेकर चार पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने से इनकार कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने इकबाल कुरैशी व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचियों पर लगाए गए आरोप और विवेचना के दौरान उनके विरुद्ध मिले साक्ष्यों का परीक्षण मुकदमे के ट्रायल के दौरान किया जाएगा। ऐसे में इस स्थिति में एफआईआर पर हस्तक्षेप करने का कोई औचत्यि नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने याचियों फर्जी तरीके से फंसाया है। वह भी केवल इसलिए कि घटना के दौरान रिपोर्टिंग करते समय उन्होंने पुलिस अधिकारियों से सवाल पूछ लिए थे। चारों याचियों के खिलाफ बिजनौर पुलिस ने 20 दिसंबर 2019 को नाथुर थाने में विधिविरुद्ध जमाव, हत्या का प्रयास, भीड़ को उकसाने और हिंसा में शामिल होने आदि के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। याचिका में इस एफआईआर को निरस्त करने और याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी।