शुआट्स में फिजियोथेरेपिस्ट का द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ

सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के फिजियोथेरेपी विभाग, शालोम इन्स्टीट्यूट आॅफ हेल्थ एण्ड एलाइड साइंस द्वारा पूर्वांचल फिजियोकाॅन के सहयोग से दो दिवसीय द्वितीय शैक्षिक एक्सपो एवं फिजियोथेरेपी सम्मेलन का शुभारम्भ शुक्रवार को हुआ। मुख्य अतिथि पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व विधान सभा अध्यक्ष पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी थे जिन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मुख्य अतिथि पं0 केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि यह सम्मेलन फिजियोथेरेपिस्ट का अवश्य है किन्तु इसका सम्बन्ध प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से है। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी की शुरूआत पेर हेनरिक लिंग ने स्वीडिश में सर्वप्रथम 1813 में राॅयल सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट आॅफ जिमनास्टिक की स्थापना करके की। फिजियोथेरेपी को कीनिसियोथेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। आज के समय में फिजियोथेरेपी चिकित्सा जगत में महत्वपूर्ण अंग बनकर अपना योगदान दे रही है, रोज नये-नये अविष्कार हो रहे हैं जो शरीर को गतिशीलता प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे है, हड्डी, मांसपेशी सम्बन्धी समस्याओं का निदान कर रहे हैं तथा मरीज को मानसिक दृष्टि से सुदृढ़ भी बना रहे हैं। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार पैर का फैक्चर होने पर उन्होंने फिजियोथेरेपी की सेवा ली और 25 वर्षों के बाद भी दोबारा उस पैर में किसी प्रकार के कोई तकलीफ नहीं हुई। पं0 केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज दवाईयां अत्यन्त महंगी हो गई हैं गरीब उसे वहन नहीं कर पा रहा है जिसके लिए भारत सरकार आयुष्मान एवं स्वास्थ्य योजना के द्वारा गरीब लोगों को लाभान्वित भी कर रही है किन्तु फिजियोथेरेपी के द्वारा सस्ता एवं प्रभावी उपचार संभव है। उन्होंने कहा कि पैरालिसिस में फिजियोथेरेपी अत्यन्त कारगर है जो धीरे-धीरे, प्रभावी असर डालती है। उन्होंने इसे काम्पैक्ट साइंस की संज्ञा दी।
कुलपति मोस्ट रेव्ह. प्रो0 राजेन्द्र बी. लाल ने पं0 केशरी नाथ त्रिपाठी को शुआट्स का अभिभावक बताते हुए उनके द्वारा विश्वविद्यालय को दिये गये सहयोग एवं योगदान के लिए आभार प्रगट किया। प्रो0 लाल ने कहा कि संस्थान के संस्थापक डा. सैम हिग्गिनबाॅटम एवं उनकी पत्नी ने वर्ष 1910 में क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने हेतु अपने घर को ही दवाखाना बनाकर मरीजों की सेवा प्रारम्भ कर दी थी। उन्होंने कहा कि शुआट्स के फिजियोथेरेपी विभाग ने सतत विकास करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है जिसके लिए सभी फेकल्टी को उन्होंने शुभकामनायें दी। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी खिलाड़ियों के साथ-साथ आमजन तथा बुजुर्ग लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी है। कुलपति ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया। पं0 केशरी नाथ त्रिपाठी ने कार्यक्रम की स्मारिका का विमोचन भी किया।
प्रति कुलपति (प्रशासन) प्रो. एस.बी. लाल ने मुख्य अतिथि के योगदान को संक्षेप में बताते हुए उन्हें शुआट्स का मुख्य संरक्षक बताया।
डा. धर्मपाल ने स्ट्रोक पेसेन्ट की रिकवरी के लिए विकसित तकनीक को प्रदर्शन के माध्यम से बताया। भारतीय क्रिकेट टीम के प्रथम फिजियोथेरेपिस्ट डा. अली ईरानी, भारतीय फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के एक्जीक्यूटिव प्रेसीडेन्ट डा. संजय झा, बिहार के डा. नरेन्द्र सिन्हा आदि ने फिजियोथेरेपी की विभिन्न तकनीकी एवं विद्याओं को बताया।
संयोजन सचिव एवं विभागाध्यक्ष डा. संजय कुमार ने सभी का स्वागत किया।
उद्घाटन समारोह में डीन डा. शेखर, डा. अरविन्द देशमुख, डा. पी. मलाईराजन सहित देश के विभिन्न प्रान्तों से आए फिजियोथेरेपिस्ट, विशेषज्ञ, डाॅक्टर्स, शिक्षाविद्, शोध छात्र आदि उपस्थित रहे। सम्मेलन अंतर्गत सायंकाल विभिन्न भव्य सास्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के माध्यम से फिजियोथेरेपी की कारगर तकनीक को दर्शाया गया जिसमें व्हील चेयर का ग्रुप डान्स, हैण्ड डान्स, एक पैर से नृत्य आदि शामिल था।

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