कृषि विज्ञान केन्द्र प्रयागराज के पशुपालन वैज्ञानिक सुबोध यादव ने पशुपालकों को इस वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव करते हुऐ पशु कार्य को ध्यान में रखतें हुऐ विभिन्न सुझाव सोशल मीडिया के माध्यम से दिये।
सुबोध यादव ने सुझाव दिया कि सभी पशु सम्बन्धित कार्य के दौरान मुॅह पर मास्क या गमछा का प्रयोग करें तत्पश्चात हाथ को जीवाणु नाशक घोल से हाथ को अवश्य धोऐं। पशुओं के बच्चें की मृत्यु दर अधिकतर पेट के संक्रमण से होता है। नवजात बच्चें को अच्छी तरह साफ करके उसकी नाभि से 3 इंच छोड़ कर काट दें तथा टिनचर आयोडीन लगाकर तथा सूती कपडे से 2-3 दिन पेट के पास बान्धकर रखें। जब बच्चा पैदा हो तो थूथन में थोडा गुड लगा देना चाहिये तो बच्चा अपने आप दूध पीना सीख लेगा ( बहुत बार बच्चा दूध न पिलाये ंतो परेशान हो जाता है)।
उन्होने कहा कि जब गाय पहली बार बच्चा देती है तो वह (लोई) पैर बान्धने नही देती दूध दोहने के समय उसके लिये पशुपालक भाई जब बछिया 7 माह की गर्भवती हो तो दोनो पैर में अलग-अलग सूती कपडे से टांग बांध (जांघ) दे तो जब वह बच्चा देगी तो उसको आदत पड जायेगी और आसानी से लोई रस्सी पैर में बांधने देगी। मेथी का पानी जिसमें उबाला गया है वह पानी गुनगुना अगर नाभि के वादी आ जाती है। उसे गुनगने पानी से धोयेगें तो वादी खत्म हो जायेगी। अगर छिमी (थन) छोटें हो तो चुटकी विधि से दोहना चाहिये अगर छिमी (थन) बडे हो तो पूर्ण हस्त दोहन विधि अपनाना चाहियें। अंगुठा विधि से दोहन नही करना चाहिये उससे थनैला रोग होने का कारण होता हैं।