ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 15 मई को सूर्य देव वृषभ राशि में गोचर करेंगे, जिस वजह से इसे वृषभ संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। इस विशेष दिन पर सूर्य देव की उपासना करने से और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। आइए पढ़ते हैं सूर्य देव को समर्पित प्रभावशाली स्तोत्र पूजा विधि और लाभ।
वृषभ संक्रांति पर करें सूर्य स्तोत्र का पाठ
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी ।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।1।।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च ।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।2।।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं ।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।3।।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने: ।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।4।।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात् ।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।5।।
वृषभ संक्रांति पर सूर्य स्तोत्र का लाभ
शास्त्रों में बताया गया है कि संक्रांति और रविवार के दिन सूर्य स्तोत्र का पाठ करने से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। साथ ही व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। सूर्य स्तोत्र के पाठ से व्यापार व आर्थिक क्षेत्र में भी व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है और मनुष्य को सूर्य के समान तेज की प्राप्ति होती है।
वृषभ संक्रांति पर सूर्य स्तोत्र पाठ विधि
संक्रांति के दिन जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करें। अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्य देवाय नमः‘ मंत्र का जाप करें। फिर घर के मंदिर में एक घी का दीपक जलाएं और सबसे पहले गणेश जी की उपासना करें, फिर सूर्य स्तोत्र का पाठ करें।