ब्रह्मसमाज सेवा समिति के पंचांग का किया गया लोकार्पण

प्रयागराज। ब्रह्मसमाज सेवा समिति, हवेलिया प्रतिष्ठानपुर, प्रयागराज के तत्वावधान में नवसंवत्सर, भारतीय नववर्ष के अवसर पर केंद्रीय विद्यापीठ के सभागार में आयोजित समारोह में ब्रह्मसमाज द्वारा प्रकाशित पंचांग (पर्व पत्र) संवत २०७९ विक्रमी का लोकार्पण संपन्न हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पं०गिरीशचंद्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि ‘हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखना है ,तभी भारत का अस्तित्व बचेगा।’ अध्यक्षता कर रहे संकीर्तन आश्रम के महंत रामानुजाचार्य का कहना था की गो, ब्राह्मण और गंगा को हमेशा संरक्षण की जरूरत है, कोई-कोई परशुराम हो पाता है। विषयप्रवर्तन करते हुए संस्था के महामंत्री साहित्यकार वि०प्र०तिवारी ‘विजयानन्द’ ने कहा की परमपिता ब्रह्मा, भगवान परशुराम, गुरु वशिष्ट, गुरु सांदीपनि, चाणक्य से लेकर आज तक हमारे पूर्वजों ने भारतीय संस्कृति और समाज की रक्षा की है। विशेष अतिथि पं०सियाराम त्रिपाठी ने जहां नवसंवत्सर पर प्रकाश डाला तो वहीं पं०शंभूनाथ त्रिपाठी अंशुल ने संस्कार और शुद्ध मंत्रों के उच्चारण पर बल दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पं० वीरेन्द्र तिवारी की सरस्वती वंदना से हुआ। प्रख्यात कवि नजर इलाहाबादी, गंगाप्रसाद त्रिपाठी ने अपनी कविताओं से जनसमूह का मनमोह लिया। सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम में पं० विजयनारायण पांडेय, अभय नारायण तिवारी, कृपाल प्रसाद दुवे, शारदा प्रसाद शुक्ल, विश्वकर्मा उपाध्याय, चंद्रशेखर तिवारी, अवधनारायण मिश्र, कृष्णमोहन तिवारी, कमलेश कुमार मिश्र, रविशंकर मिश्र, ज्योतिशंकर चौबे, श्रीकांत त्रिपाठी, किरणकुमार मिश्र, केशवकांत त्रिपाठी, जगदीश द्विवेदी, अशोक तिवारी, केदारनाथ तिवारी, वैद्य जी, राधेश्याम मिश्र, बैकुंठनाथ तिवारी, मनोज पान्डेय, महेशचंद्र मिश्र, बैकुंठनाथ दुबे, धीरज झा, विजयशंकर द्विवेदी, पवन द्विवेदी, चंद्रकरण तिवारी, श्रीकांत शुक्ल, त्रिभुवन पांडेय, प्रमोद त्रिपाठी, रत्नेश शुक्ल आदि मौजूद थे।

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