‘बदलाव के लिए जज्बा होना चाहिए’, PM Modi बोले- हमने गरीब को झूठे नारे नहीं, सच्चा विकास दिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का आज जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि देश की जनता ने मुझे 14वीं बार राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्ति करने का अवसर दिया। इसलिए, मैं आदरपूर्वक लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त करता हूं। मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी का संबोधन विकसित भारत के संकल्प को मजबूती देने वाला, नया विश्वास पैदा करने वाला और जन सामान्य को प्रेरित करने वाला है। प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि हमने गरीब को झूठे नारे नहीं, सच्चा विकास दिया है।

मोदी ने कहा कि गरीब का दुख, सामान्य मानवी की तकलीफ, मिडिल क्लास के सपने ऐसे ही नहीं समझे जाते हैं, इसके लिए जज्बा चाहिए। मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कुछ लोगों में ये है ही नहीं। उन्होंने कहा कि अब तक गरीबों को 4 करोड़ घर दिए जा चुके हैं। जिन्होंने कठिन जीवन जीया है, वे ही समझते हैं कि घर पाने की कीमत क्या है। पहले शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण महिलाओं को बहुत परेशानी होती थी। जिनके पास ये सुविधाएं हैं वो “उन लोगों की परेशानी नहीं समझ सकते। हमने 12 करोड़ से ज्यादा शौचालय दिए हैं। उन्होंने कहा कि हम 2025 में हैं। एक तरह से 21वीं सदी का 25% हिस्सा बीत चुका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद 20वीं सदी और 21वीं सदी के पहले 25 वर्षों में क्या हुआ यह तो समय ही तय करेगा। लेकिन अगर हम राष्ट्रपति के अभिभाषण का सूक्ष्मता से अध्ययन करें तो यह स्पष्ट है कि उन्होंने आने वाले 25 वर्षों और विकसित भारत को लेकर लोगों के बीच विश्वास कायम करने की बात कही। उनका संबोधन विकसित भारत के संकल्प को मजबूत करता है, नया आत्मविश्वास पैदा करता है और आम लोगों को प्रेरित करता है।

प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि ये हमारा संविधान जीने का स्वभाव था, हमने तय किया कि भले मान्य विपक्ष नहीं होगा, लेकिन जो सबसे बड़े दल का नेता है, उसे मीटिंग्स में बुलाएंगे। उन्होंने कहा कि जब सत्ता सेवा बन जाए, तो राष्ट्र निर्माण होता है। जब सत्ता को विरासत बना दिया जाए, तो लोकतंत्र खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि हम संविधान की भावना को लेकर चलते हैं, हम जहर की राजनीति नहीं करते हैं। हम देश की एकता को सर्वोपरि रखते हैं और इसलिए सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते हैं। जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि सात दशक तक जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को संविधान के अधिकारों को अलग रखा गया। ये संविधान के साथ भी अन्याय था और जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के साथ भी अन्याय था। हमने अनुच्छेद 370 की दीवार गिरा दी। अब जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को देशवासियों को जो अधिकार हैं, वो अधिकर उन्हें मिल रहे हैं। हम संविधान के महात्म्य को जानते हैं। संविधान की भावना को जीते हैं, इसलिए ऐसे मजबूत निर्णय भी हम करते हैं।

उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि जाति की बातें करना कुछ लोगों का फैशन बन गया है। पिछले 30 साल से सदन में आने वाले ओबीसी समाज के सांसद दलों के भेदभाव से ऊपर उठकर एक होकर मांग कर रहे थे कि ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। जिन लोगों को आज जातिवाद में मलाई दिखती है, उन लोगों को उस समय ओबीसी की याद नहीं आई। हमने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि हमारा निरंतर प्रयास है कि हर योजना का शत प्रतिशत लाभ हर लाभार्थी को मिले। लेकिन कुछ लोगों ने मॉडल ही ऐसा बनाया था कि कुछ ही लोगों को दो औरों को तड़पाओ और तुष्टिकरण की राजनीति करो। देश को विकसित बनाने के लिए तुष्टिकरण से मुक्ति पानी होगी। हमने रास्ता चुना है- संतुष्टिकरण का। हर समाज, हर वर्ग के लोगों को उनका हक मिलना चाहिए।

मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी के भाषण की चर्चा के समय यहां विदेश नीति की भी चर्चा हुई। कुछ लोगों को लगता है कि जब तक विदेश नीति नहीं बोलते तब तक वो परिपक्व नहीं लगते। उनको लगता है विदेश नीति तो बोलना चाहिए, भले ही देश का नुकसान हो जाए। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उन्हें सच में Foreign Policy में रूचि है और Foreign Policy को समझना है और आगे जाकर कुछ करना भी है, तो मैं ऐसे लोगों को कहूंगा कि एक किताब जरूर पढ़ें। किताब का नाम है- JFK’S FORGOTTEN CRISIS। इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति John F. Kennedy के बीच हुई चर्चाओं और निर्णयों का भी वर्णन है। जब देश ढेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था इस किताब के माध्यम से सामने आ रहा है।

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