प्रयागराज। आक्टा कार्यकारिणी की एक आपातकालीन बैठक ईश्वर शरण महाविद्यालय में ऑक्टा अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र पाल सिंह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें महाविद्यालयों के अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई और निर्णय लिए गए और सदस्यों ने महाविद्यालयों में कैश के तहत प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की।
इस अवसर पर डॉ. आनंद कुमार ने कहा कि जुलाई 2018 में यूजीसी का रेगुलेशन आने के बाद लगभग डेढ़ वर्ष बीतने को है लेकिन अभी तक कोई भी ठोस कार्य नहीं हुआ। कुछ सदस्यों ने आक्रोश व्यक्त किया है कि कुलपति द्वारा लगभग छह महीने पहले अनुमति देने के बावजूद सिर्फ फार्म निकालने में ही विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने महीनों लगा दिए। महासचिव ने इस संदर्भ में बताया कि फॉर्म कल ही रजिस्ट्रार के पास पहुंचा है और आज उन्होंने इसके संदर्भ में नोटिफिकेशन जारी करने का आश्वासन दिया है। डॉ. धीरज चैधरी ने विश्वविद्यालय के कुछ विभागों में शोध के लिए महाविद्यालयों के शिक्षकों के अंतर्गत नामांकन कराने वाले विद्यार्थियों के फॉर्म पर अनावश्यक आपत्ति लगाने का मुद्दा उठाया। कई अन्य शिक्षकों ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए इस पर कुलपति से बात करने की मांग की। कुछ सदस्यों ने कहा कि महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के स्नातकोत्तर की कॉपियां अतिथि प्रवक्ताओं से परीक्षण करवाई जा रही हैं। महाविद्यालयों के वरिष्ठ शिक्षकों को जानबूझकर परीक्षक बनने से रोका जा रहा है। ऑक्टा अध्यक्ष ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है जिसका आक्टा विरोध करेगी।
सचिव डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने कुछ विषयों के विभागाध्यक्ष द्वारा पीजी में विद्यार्थियों को एक निश्चित सीमा से अधिक माक्र्स ना देने का मुद्दा उठाया। कुछ सदस्यों का यह भी कहना था कि कुछ विभाग जानबूझकर महाविद्यालय के छात्रों को नंबर देने के लिए दोहरा मापदंड अपनाते हैं। कई सदस्यों ने यह भी कहा कि अच्छे विद्यार्थियों को भी साइंस के प्रैक्टिकल में जान बूझकर कम नंबर दिए जा रहे हैं। सभी सदस्यों का एक मत से कहना था कि किसी भी छात्र को उसकी योग्यता अनुसार नंबर मिलना चाहिए। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि संबंधित लोगों से मिलकर आक्टा बात करेगी और यदि यह मुद्दे आपसी बातचीत से हल नहीं होते हैं तो इस संदर्भ में कुलपति से शिकायत की जाएगी।
डॉ. सरिता श्रीवास्तव, डॉ. आनंद और डॉ. नीलिमा ने महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के मार्कशीट में अनियमितता और गलतियों का भी मुद्दा उठाया। कहा कि विद्यार्थियों के मार्कशीट में गलत अंक चढ़ना एक गंभीर अनियमितता है जिसके लिए परीक्षा नियंत्रक से मिलकर इसे सुधारने की आवश्यकता है। अनेक महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने कहा कि पिछले 6 महीने से शोध के लिए महाविद्यालयों के इंस्पेक्शन करने की बात कही जा रही है लेकिन अभी तक अनेक विषयों में इंस्पेक्शन नहीं हुआ है, जबकि कुलपति ने बहुत पहले इंस्पेक्शन करने के लिए कमेटी बनाई थी। सभी सदस्यों ने पदोन्नति के तीन वर्ष बाद भी महाविद्यालयों के 109 शिक्षकों का एरियर ना मिलने को लेकर आक्रोश व्यक्त किया। महासचिव ने कहा कि इसके लिए यूजीसी और एमएचआरडी से फंड के लिए प्रयास हो रहे हैं, परंतु यह शर्मनाक है कि इतने वर्षों बाद भी एरियर नहीं मिला। इसके लिए हम जल्द ही गंभीर आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं।
बैठक में चयन का भी मुद्दा उठा, जिसके लिए महासचिव ने सभी महाविद्यालयों के शिक्षकों से हस्ताक्षर कराकर एक ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्रालय भेजने की बात कही। बैठक में ऑक्टा उपाध्यक्ष डॉ. रेखा रानी, डॉ. नरेंद्र बाजपेयी, डॉ. धीरज चैधरी, डॉ. अर्चना पाल, डॉ. संतोष श्रीवास्तव, डॉ. गायत्री सिंह, डॉ. सरिता श्रीवास्तव, डॉ. संघ सेन सिंह, डॉ. नीलिमा सिंह, डॉ. अमित पांडे, डॉ. अखिलेश त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।